कैसे समझें कि मुंह या गले में कैंसर की शुरुआत हो चुकी है, किसे है सबसे ज्यादा खतरा, समझ लें डॉक्टर की जुबानी

Mouth Cancer Symptoms: पूरी दुनिया के लिए यह चिंता का विषय है कि हर साल लगभग एक करोड़ लोगों की मौत कैंसर के कारण हो जाती है. भारत में भी ऐसे मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इंडिया अगेंस्ट कैंसर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 27 लाख लोग कैंसर का इलाज करा रहे हैं. इनमें से सिर्फ 2020 में कैंसर के कारण 8.5 लाख लोगों की मौत हुई है. कई स्टडीज में इस बात की चेतावनी दी गई है कि अगर लाइफस्टाइल में सुधार नही किया गया तो कैंसर के मामले में और तेजी आ सकती है. अध्ययन में कहा गया है कि सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत कैंसर के मामलों के लिए जीन जिम्मेदार होते हैं बाकी के लिए कहीं न कहीं खुद का लाइफस्टाइल और पर्यावरण जिम्मेदार होता है. कैंसर से निपटने का सबसे बेस्ट तरीका यही है कि कैंसर की पहचान शुरुआत में ही कर ली जाए. अगर कैंसर को हम शुरुआत में पहचान लेंगे और डॉक्टर के पास चले जाएंगे तो बहुत हद तक इस बीमारी के दुष्प्रभावों से बच पाएंगे.

ओरल और गले के कैंसर के प्रकार

ओरल और मुंह का कैंसर एक दूसरे से जुड़ा होता है. अगर दोनों में से कोई भी आगे बढ़ गया तो दोनों कैंसर एक हो जाता है. सर गंगाराम अस्पताल में कैंसर विभाग के एसोसिएड कंसल्टेंट डॉ. आदित्य सरीन मुंह से लेकर सांस की नली वाले रास्ते तक के कैंसर को मुंह का कैंसर या ओरल कैंसर कहते हैं. इसके बाद गले में अगर हो जाए तो इसे गले का कैंसर कहते हैं. मुंह का कैंसर जीभ, होंठ, मसूड़े, गाल की लाइनिंग, मुंह की छत में, जीभ के नीच और मुंह की सतह पर हो सकता है जबकि गले का कैंसर नाक के पीछे, मुंह के पीछे, टॉन्सिल में, फूड पाइप से थोड़ा उपर, वोकल कॉर्ड, वॉयस वॉक्स, वोकल कॉर्ड के पीछे आदि जगहों में होता है. मुंह के कैंसर के 10 में 9 मरीज स्क्वामाउस सेल कार्सिनोमा से पीड़ित रहते हैं.

मुंह के कैंसर को शुरुआत में कैसे पहचानें
डॉ. आदित्य सरीन बताते हैं कि आमतौर पर किसी भी प्रकार के कैंसर में एकदम शुरुआत में पहचान करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन कुछ संकेतों के आधार पर हम अनुमान लगा सकते हैं. मुंह का कैंसर जब होता है तो मुंह में बदलाव आने लगता है. खाना खाने में दिक्कत होती है, निगलने में परेशानी होती, मुंह के अंदर या मुंह के अंदर अल्सर या जीभ के उपर की छत में छाले पड़ने लगते हैं. होंठ और जीभ में सुन्न हो जाता है. वहीं मुंह और जीभ की लाइनिंग में सफेद और लाल पैचेज बनने लगते हैं. ये परेशानी ऐसी होती है जिसमें दवा खाने से भी ठीक नहीं होती है. वहीं दांतों का ढीला होना, मुंह के अंदर लाल पैचेज बनना, मुंह में दर्द करना, कान में दर्द करना आदि भी मुंह के कैंसर के शुरुआती संकेत हैं.

गले के कैंसर को शुरुआत में कैसे पहचानें
डॉ. आदित्य सरीन ने बताया कि जब किसी को गले का कैंसर होता है तो इसमें खांसी बहुत ज्यादा होती है. आवाज में भारीपन और बदलाव आने लगता है. वहीं बोलने में भी दिक्कत होने लगती है. इसके साथ गले के कैंसर में भी कान में दर्द होने लगता है और गले में ऐसा घाव निकलता है जो दवा से ठीक नहीं होता. इसके अलावा गले के कैंसर में वजन तेजी से घटने लगता है. इसमें गले में गांठ भी निकल सकता है और इससे गले के कैंसर की शुरुआत हो सकती है.

मुंह और गले के कैंसर के कारण
डॉ. आदित्य सरीन ने कहा मुंह और गले के कैंसर के ज्यादातर मामलों में सिगरेट या स्मोकिंग जिम्मेदार होता है. इसके अलावा गुटखा या तंबाकू जनित चीजों के सेवन से गले और मुंह का कैंसर होता है. चाहे मुंह का कैंसर हो या गले का, दोनों में डीएनए का म्यूटेशन होता है. डीएनए का म्यूटेशन क्यों होता है, इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं है. लेकिन स्मोकिंग, गुटखा, धुम्रपान इसकी बड़ी वजह है. गले के कैंसर के लिए एचपीवी वायरस और अल्कोहल भी जिम्मेदार हो सकता है. ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) यौन जनित बीमारी है. यानी ओरल संबंधों के कारण ओरल या गले का कैंसर भी हो सकता है.

इन लोगों को मुंह और गले के कैंसर का खतरा ज्यादा
डॉ. आदित्य सरीन ने बताया कि गुटखा, तंबाकू, सिगरटे, शराब पीने वाले लोगों को गले या मुंह के कैंसर का ज्यादा खतरा है. वहीं अगर एचपीवी वायरस का संक्रमण पहले से है तो भी इससे कैंसर का खतरा है. इसके अलावा अगर आपकी डाइट में हरी सब्जी और फलों की कमी होती है तो भी ओरल और थ्रोट कैंसर का जोखिम ज्यादा रहता है. पेट की बीमारी जीईआरडी और जहरीले रसायन के ज्यादा संपर्क में रहने से भी कैंसर का खतरा है.

बचने के उपाय क्या हैं
डॉ. आदित्य सरीन कहते हैं कि ओरल और गले के कैंसर से बचने के लिए सबसे पहले सिगरटे, शराब, तंबाकू, गुटखा आदि का सेवन बंद कर दीजिए. इसके लिए यौन संबंध बनाने में सुरक्षात्मक उपायों का सहारा लें, ओरल संबंध बनाने से पहले सुरक्षित उपकरण लगाएं. वहीं किसी भी तरह के कैंसर से बचने के लिए जरूरी है रोज हरी पत्तीदार सीजनल सब्जियां और ताजे फलों का सेवन करें. इसके साथ ही नियमित रूप से एक्सरसाइज भी जरूरी है.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle

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