भारतवर्ष में भक्ति और विज्ञान का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। धार्मिक ग्रंथों और मंत्रों का प्रभाव केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा होता है। हनुमान चालीसा इसका सबसे जीवंत उदाहरण है। यह केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक चमत्कार भी है। आइए जानते हैं कैसे।
🧠 मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव
हनुमान चालीसा में लगभग 40 छंद होते हैं, जिनमें से अधिकतर अनुप्रस्थ छंद में रचे गए हैं। ये छंद मस्तिष्क की बीटा वेव्स से अल्फा वेव्स में शिफ्टिंग करते हैं, जिससे एकाग्रता और मानसिक शांति की अनुभूति होती है।
‘रामदूत अतुलित बलधामा’ जैसे मंत्रों का जाप:
- मस्तिष्क में कॉर्टिसोल (Stress Hormone) का स्तर घटता है।
- सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे शांति और आनंद की भावना जागती है।
- इससे पैरा-सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय होता है, जो शरीर को रिलैक्स करता है।
जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन के अनुसार, नियमित मंत्रोच्चार से तनाव में कमी आती है और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
❤️ दिल को भी करता है मजबूत
एक वैज्ञानिक अध्ययन में 18 से 22 वर्ष के मेडिकल छात्रों को 10 मिनट तक हनुमान चालीसा संगीत सुनाया गया। परिणामस्वरूप उनके ब्लड प्रेशर और हृदय गति में गिरावट देखी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह भजन दिल के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
नियमित पाठ से होते हैं ये लाभ:
- हृदय गति नियंत्रित होती है।
- ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है।
- नींद में सुधार होता है।
- एंग्जायटी, PTSD और स्ट्रेस डिसऑर्डर में राहत मिलती है।
(स्रोत: जर्नल ऑफ इवोल्यूशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल साइंसेज, AIIMS और एम्स रिसर्च)