लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर खीरी में बाघों की बस्ती में अब पर्यटक मस्ती करते हुए दिखाई देंगे. यहां के दुधवा नेशनल पार्क के साथ ही महेशपुर रेंज में 6 नवंबर को पर्यटन सत्र का शुभारंभ होने जा रहा है, जो बाघ जंगल में मौजूद हैं. वह पर्यटकों को दिखाए जाएंगे. इसके अलावा यहां अधिक मात्रा में बाघ गन्ने के खेतों में भी पाए जाते हैं, जिनका डर भी हर समय बना रहता है.
बाघों से किसानों में रहता है डर
लखीमपुर में बाघों के डर की वजह से खेती किसानी और पशुपालन के काम प्रभावित रहते हैं. बाघों की मौजूदगी को लेकर कई साल पहले सुर्खियों में आए महेशपुर वन रेंज के दक्षिण कठिन इलाके को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है. दो साल पहले आधी अधूरी तैयारियों के बीच यहां पर्यटन का शुभारंभ किया गया था. अधिकारियों ने कठिना नदी के किनारे वाले इलाके का सर्वे कर रूट चार्ट तैयार किया है.
पर्यटक यहां करते हैं मौज-मस्ती
यहां बाघ समेत विभिन्न वन्यजीव प्यास बुझाने के लिए पानी पीने भी आते हैं. इसके अलावा देश-विदेश से दुधवा टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों को यहां के कॉरिडोर की प्राकृतिक की सैर करने की भी व्यवस्था की गई है. यहां पर्यटक पहुंचकर मस्ती करते हुए आनंद लेते हैं.
जानें कैसे हुई थी बाघों की गणना
बता दें कि महेशपुर जंगल में कई साल पहले ट्रैप कैमरे से गणना की गई थी. तब बाघ और तेंदुए की संख्या 21 रिकार्ड की गई थी. अब इनकी संख्या और व्यापक हो चली है. बीते तीन सालों से यहां नेपाली हाथियों के झुंड भी प्रवास पर आते रहते हैं.
यहां पर्यटन की है अपार संभावना
वन विभाग के सर्वे में पर्यटन की अपार संभावनाओं को समेटे महेशपुर, चैतीपुर एवं देवीपुर बीट को चिन्हित किया गया था. दोनों इंट्री गेटों के बीच पर्यटन इलाके की दूरी 15 किमी है. यहां ठहरने के लिए पर्यटकों को चैतीपुर में थारूहट किराए पर मिलेंगे. जहां जंगल के बीच से निकली कठिना नदी में पानी के साथ ही आसपास खड़ी झाड़ियां बाघ आदि वन्यजीवों का प्राकृतिक आशियाना भी हैं.
वाइल्डलाइफ के लिए है सबसे सुरक्षित इलाका
महेशपुर बीट की दक्षिण कठिन के कंपार्टमेंट 1 से 15 एवं देवीपुर बीट इलाके में वाइल्ड लाइफ की पर्याप्त मात्रा में बाहुलता है. यहां ग्रास लैंड का इलाका होने के साथ ही आधा दर्जन वाटर फॉल भी बने हैं. अधिकारियों की योजना के मुताबिक कोर जोंन का 60% इलाका वाइल्डलाइफ के लिए सुरक्षित होगा. इससे वाइल्ड लाइफ की प्राकृतिक स्वच्छंदता बाधित न हो,.
वहीं, जंगल के 40% इलाके में पर्यटकों को टहलने घूमने की व्यवस्था करने का प्लान है. जहां अधिकारियों के निर्देश पर यहां के वाइल्ड लाइफ को छेड़े बिना पर्यटन का आनंद उठाने के प्लान पर काम किया गया है.
यहां के जंगल में पाए जाते हैं ये वन्यजीव
यहां के जंगल में बाघ, तेंदुआ, चीतल, पाढ़ा, बारासिंघा, सांभर, जंगली सूअर, हिरण, नीलगाय, बंदर, सियार, मोर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं. इसके अलावा कुछ चिड़ियों की भी प्रजाति यहां पायी जाती हैं. वहीं, जानकारों के मुताबिक सर्दी के दिनों में कुछ देसी-विदेशी पक्षी भी यहां के सेमरई वेटलैंड में आते हैं, जो गर्मी शुरू होते ही फिर अपने वतन को वापस कर जाते हैं.
जानें आवागमन भी व्यवस्था
महेशपुर गोला शाहजहांपुर हाईवे पर स्थित होने के चलते देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आसान है. यहां से 12 किलोमीटर दूर छोटी काशी के नाम से विख्यात गोला रेलवे स्टेशन एवं 50 किलोमीटर दूर शाहजहांपुर की बड़ी रेल लाइन से आने-जाने के लिए सुविधाजनक तरीके से हाईवे मार्ग भी उपलब्ध है.
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FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 12:34 IST