सोनभद्र: यूपी के सोनभद्र जिला मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूर पंचमुखी पहाड़ियां हैं. यहां पर स्थित अति प्राचीन रॉक पेंटिंग सुरक्षा और संरक्षण के अभाव में लगातार नष्ट होती जा रही है. पंचमुखी पहाड़ी पर प्रागैतिहासिक काल की दर्जनों ऐसी गुफाएं विराजमान हैं, जिनमें आदि मानव काल के विभिन्न प्रकार की रॉक पेंटिंग (भित्ति चित्र) मौजूद है.
पेंटिंग में दर्शाया गया है पूजा पाठ
इन रॉक पेंटिंग में गो चारण, पूजा पाठ, पशुपालन, शिकार, बिजली के खंभे समेत तमाम चीजें दर्शायी गई हैं. प्राचीन गुफाओं में पर्यटकों द्वारा बिना रोक-टोक आग जलाने और वहां पर पिकनिक मनाने के चलते यह कीमती रॉक पेंटिंग अब नष्ट होने की कगार पर है. ऐसे में पुरातत्व विभाग ने इन गुफाओं पर नंबरिंग करके इन्हें चिह्नित किया है, लेकिन इन्हें खुला छोड़ देने के चलते यह पेंटिंग अब धूमिल पड़ती जा रही हैं.
पंचमुखी पहाड़ियों पर हैं प्राचीन गुफाएं
पंचमुखी पहाड़ी के ऊपर प्राचीन शिव मंदिर के पीछे दर्जनों ऐसी गुफाएं हैं, जिनमें प्रागैतिहासिक काल की रॉक पेंटिंग देखने को मिलती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचमुखी पहाड़ियों पर स्थित इन गुफाओं में लोग आये दिन पिकनिक मनाते हैं, लोगों द्वारा आग जलाने और धुंआ करने के चलते ये कीमती रॉक पेंटिंग अब नष्ट होने की कगार पर है. पंचमुखी पहाड़ी पर घूमने आए लोगों का कहना है कि जागरूक करके इन रॉक पेंटिंग को बचाया जा सकता है.
पिकनिक मनाने वाले पहुंचा रहे हैं नुकसान
सोनभद्र जिला मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित पंचमुखी पहाड़ी के पेंटिंग को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि कोई व्यक्ति बहुत ही सुंदर पेंटिंग करके गया है. यहां के पत्थरों पर कई प्रकार के जानवरों और मानव सभ्यताओं के चित्र भी बनाए गए हैं.
यह कई हजार सौ वर्ष पुराना होने के बावजूद भी यह जस के तस पड़ा हुआ है, लेकिन लोगों की लापरवाही के चलते इन दोनों ऊसकी स्थिति काफी खराब होती चली जा रही है. यहां आए दिन लोग पिकनिक मनाते हैं और धुआं और पत्थरों पर खरोचने के कारण सभी भित्ति चित्र खराब होते चले जा रहे है.
16,000 हजार वर्ष पुरानी है पेंटिंग
इस संबंध में लक्ष्मण दुबे से बात किया गया तो उन्होंने कहा कि पहाड़ी के ऊपर गुफाओं में जो भी पेंटिंग मौजूद हैं. वह करीब 16,000 हजार वर्ष पुरानी हैं. इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि यह पेंटिंग इतने हजार वर्ष पुरानी है.
जहां तक इसके देखरेख की बात है तो विभाग द्वारा किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. पहाड़ी और गुफाओं के पास वैसे ही झाड़ झंखाड़ उगे हैं, जिसके चलते यह उपेक्षित पड़ा हुआ है. इन पेंटिंगों को देखने से पता चलता है कि हमारे पूर्वज कितने जानकर थे.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 15:54 IST