यहां है भगवान शंकर का सबसे पुराना मंदिर, पंचमुखी शिवलिंग का बदलता है रंग, सावन में जरूर कर आएं दर्शन

Oldest Temple Of Lord Shiva: हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद खास होता है. सावन के महीने में शिव भक्त कावड़ यात्रा निकालते हैं और भगवान शंकर के दर्शन के लिए जाते हैं. इस मौके पर हरिद्वार में बहुत भीड़ होती है. अगर आप भी भगवान शिव का दर्शन करना चाहते हैं तो भारत के सबसे प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं. यह भगवान शिव का पुराना मंदिर ही नहीं, भारत का भी सबसे प्राचीन मंदिर है जो बिहार के कैमूर जिले के कौरा क्षेत्र में स्थित है. इसे मुंडेश्वरी मंदिर के रूप में जाना जाता है. आइए जानते हैं इसके रोचक तथ्य…

मुंडेश्वरी मंदिर का निर्माण 3 या 4 शताब्दियों के दौरान हुआ था. इस मंदिर में भगवान विष्णु निवास करते हैं. 7वीं शताब्दी में भगवान शिव की एक मूर्ति स्थापित की गई थी. इस मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में वर्ष 625 के शिलालेख पाए गए हैं. यह वाराणसी से 60 किमी दूर है. यह भारत के सबसे पुराने और सबसे अधिक पूजे जाने वाले मंदिरों में से एक है. यह मुंडेश्वरी नामक पर्वत पर स्थित है. देवी दुर्गा यहां मुंडेश्वरी माता के रूप में वैष्णव रूप में प्रकट होती हैं. मुंडेश्वरी माता कुछ हद तक वाराही माता की तरह दिखती हैं.

मंदिर में भगवान शिव के भी 4 मुख हैं. मंदिर में सूर्य, गणेश और विष्णु की भी मूर्तियां हैं. चैत्र माह के दौरान इस मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में आते हैं. आर्कियोलॉजिस्ट्स ने सुरक्षा कारणों से 9 मूर्तियों को कोलकाता संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया है. इस मंदिर को तांत्रिक पूजा का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर की मुख्य विशेषता सात्विक बलि है. यहां सबसे पहले बलि के बकरे को देवी की मूर्ति के सामने लाया जाता है. फिर पुजारी मां की मूर्ति को छूकर कुछ चावल के दाने को बकरे पर फेंका जाता है, जिससे बकरा बेहोश हो जाता है. फिर थोड़ी देर के बाद उसपर अक्षत फेंका जाता है और बकरा उठ खड़ा होता है. बस ऐसे ही बलि की प्रक्रिया पूरी हो जाती है.

FIRST PUBLISHED : August 3, 2024, 12:09 IST

Source link

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights