Aditya-L1: Celebration of First Orbit Completion 🌞🛰️
Today, Aditya-L1 completed its first halo orbit around the Sun-Earth L1 point. Inserted on January 6, 2024, it took 178 days, to complete a revolution.Today’s station-keeping manoeuvre ensured its seamless transition into… pic.twitter.com/yB6vZQpIvE
— ISRO (@isro) July 2, 2024
इसरो का कहना है कि हेलो कक्षा में आदित्य एल-1 स्पेसक्राफ्ट को एल-1 पॉइंट के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 178 दिन लगते हैं। इसरो ने बताया कि हेलो कक्षा में घूमने के दौरान आदित्य एल-1 कई फोर्सेज यानी बलों के संपर्क में आता है, जिससे इसके कक्षा से बाहर जाने की आशंका रहती है।
एजेंसी ने बताया कि आदित्य-एल1 को इस कक्षा को बनाए रखने के लिए 22 फरवरी और 7 जून को दो बार उसके रूट में बदलाव किया गया। मंगलवार को तीसरी बार भी ऐसा किया गया ताकि स्पेसक्राफ्ट एल1 के चारों ओर दूसरे हेलो ऑर्बिट में सफर करता रहे।
क्या है आदित्य एल1 का मकसद
मिशन का मकसद सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना को स्टडी करना है। यह भारत की पहली स्पेस बेस्ड ऑब्जर्वेट्री है। सूर्य में होने वाली घटनाओं जैसे- कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर पर आदित्य की विशेष नजर है।
क्या है सूर्य-पृथ्वी का एल1 पॉइंट
एल1 पॉइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य पर हमेशा नजर रखी जा सकती है। आदित्य स्पेसक्राफ्ट अपने साथ 7 साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स लेकर गया है। ये सभी स्वेदशी हैं और भारत के विभिन्न विभागों द्वारा तैयार किए गए हैं। इंस्ट्रूमेंट्स की मदद से सूर्य के अलग-अलग हिस्सों को स्टडी किया जा रहा है।
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