एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक पोस्ट में कहा कि मंगल ग्रह पर सेफ लैंडिंग से जुड़े परीक्षणों में एस्ट्रोनॉट्स को शामिल नहीं किया जाएगा। यानी शुरुआत में मिशन बिना क्रू के उड़ान भरेगा। अगर कामयाबी मिली तो मंगल ग्रह पर क्रू मिशन को अगले चार साल में भेजा जा सकता है। खास बात है कि मंगल ग्रह और पृथ्वी, इंटरप्लैनेटरी मिशन के लिए हर 26 महीने में एक बार निश्चित सीध में
आते हैं।
The first Starships to Mars will launch in 2 years when the next Earth-Mars transfer window opens.
These will be uncrewed to test the reliability of landing intact on Mars. If those landings go well, then the first crewed flights to Mars will be in 4 years.
Flight rate will… https://t.co/ZuiM00dpe9
— Elon Musk (@elonmusk) September 7, 2024
मस्क ने यह भी उम्मीद जताई कि एक बार सफलता मिलने के बाद फ्लाइट रेट यानी उड़ान भरने की दर तेज होगी। इसका मकसद अगले 20 साल में मंगल पर एक आत्मनिर्भर शहर का निर्माण करना है।
स्टारशिप रॉकेट की पहली टेस्ट उड़ान नाकाम हो गई थी। कुछ सेकंडों में ही रॉकेट तबाह हो गया था। हालांकि मस्क ने हार नहीं मानी और स्पेसएक्स लगातार टेस्ट करती रही। स्टारशिप को अबतक चार बार उड़ाया गया है। हरेक परीक्षण के बाद इसमें सुधार देखा गया है। कंपनी अब पांचवीं उड़ान की तैयारी कर रही है, जिसमें सभी पहलुओं को परखा जाएगा।
What is Starship Rocket
स्टारशिप एक रीयूजेबल रॉकेट है। इसमें मुख्य रूप से दो भाग हैं। पहला है- पैसेंजर कैरी सेक्शन यानी जिसमें यात्री रहेंगे, जबकि दूसरा है- सुपर हैवी रॉकेट बूस्टर। स्टारशिप और बूस्टर को मिलाकर इसकी लंबाई 394 फीट (120 मीटर) है। जबकि वजन 50 लाख किलोग्राम है। जानकारी के अनुसार, स्टारशिप रॉकेट 1.6 करोड़ पाउंड (70 मेगान्यूटन) का थ्रस्ट उत्पन्न करने में सक्षम है। यह नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट से लगभग दोगुना अधिक है।
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