नई दिल्ली. खेल जगत के इस प्रतिष्ठित परिवार की तीन पीढ़ियां इंटरनेशनल लेवल पर देश के लिए खेल चुकी हैं. परिवार के छह मेंबर शीर्ष स्तर पर खेलों से जुड़े रहे हैं, इसमें से चार देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वैसे तो अमरनाथ, हजारे और नायडू परिवार के भी दो से अधिक सदस्य क्रिकेट खेले हैं लेकिन इस परिवार के चार सदस्य क्रिकेट और दो टेनिस से संबंधित हैं. यह है मांकड परिवार, जिसकी तीसरी पीढ़ी के हर्ष मांकड़ (Harsh Mankad) टेनिस में भारत की ओर से खेल हैं. डेविस कप और एटीपी टूर में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले हर्ष एक समय सिंगल्स में देश के नंबर वन प्लेयर थे. 44 साल के हर्ष टेनिस से रिटायर होने के बाद अब अमेरिका में सेटल हो गए हैं.
हर्ष मांकड़ को एक तरह से खेल विरासत में मिला है. उनके दादा मूलवंत राय हिम्मत लाल मांकड उर्फ वीनू मांकड (Vinoo Mankad) की गिनती कपिल देव के पहले देश के शीर्ष ऑलराउंडर में होती थी. वीनू दाएं हाथ के बेहतरीन बैटर और बाएं हाथ के स्पिनर थे. वीनू के बेटे और हर्ष के पिता अशोक मांकड ने इंटरनेशनल क्रिकेट खेला. हर्ष के दो चाचा अतुल और राहुल भी प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रहे हैं. यही नहीं, अशोक मांकड की पत्नी और हर्ष की मां निरुपमा भी आला टेनिस प्लेयर रही हैं और देश के लिए खेली हैं.
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भारत के लिए बैटिंग-बॉलिंग की शुरुआत कर चुके वीनू
वीनू मांकड की बात करें तो ऑलराउंडर के तौर पर उनका रिकॉर्ड प्रभावशाली रहा है. 12 अप्रैल 1917 को गुजरात के जामनगर में जन्मे वीनू ने 44 टेस्ट में 31.47 के औसत से 2107 रन बनाने के अलावा 32.32 के औसत से 162 विकेट लिए. बैटिंग और बॉलिंग, दोनों में ही वे कुशल थे. वीनू ने टेस्ट क्रिकेट में पांच शतक जमाए जिसमें दो दोहरे शतक शामिल रहे. बाएं हाथ के स्पिनर के तौर पर उन्होंने पारी में 8 बार पांच या इससे अधिक और दो बार मैच में 10 या इससे अधिक विकेट लिए.
जून 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स टेस्ट में तो वीनू ने ऐसा प्रदर्शन किया था कि इस मैच को भारत Vs इंग्लैंड के बजाय वीनू मांकड VS इंग्लैंड टेस्ट के तौर पर याद किया जाता है. भारतीय टीम को इस टेस्ट में 8 विकेट की हार मिली थी लेकिन वीनू ने अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से सबका दिल जीता था. उन्होंने पहली पारी में 72 और दूसरी पारी में 184 रन बनाए थे, साथ ही इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान सर्वाधिक 5 विकेट हासिल किए थे. भारत की ओर से एक से लेकर 11 तक, सभी पोजीशन पर बैटिंग करने का रोचक रिकॉर्ड भी वीनू के नाम है.
क्रिकेट में बॉलर के बॉल फेंकने से पहले ही नॉन स्ट्राइकर के क्रीज छोड़ने पर रन आउट करने के खास तरीके को वीनू के नाम पर ही ‘मांकडिंग’ नाम दिया गया था. टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले, वीनू ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिल ब्राउन को इस तरीके से रन आउट किया था. हालांकि इस तरीके से बैटर को आउट करने को अब ‘रन आउट’ की कैटेगरी में ही रखा जाने लगा है. फर्स्ट क्लास क्रिकेट के 233 मैचों में 11 हजार से अधिक रन और 782 विकेट लेने वाले वीनू का 61 वर्ष की उम्र में निधन हुआ.
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वीनू के बाद भारत के लिए क्रिकेट खेले अशोक मांकड़
वीनू के बाद भारत की ओर से क्रिकेट खेलने की परंपरा को उनके बड़े बेटे और हर्ष के पिता अशोक मांकड (स्वर्गीय) ने आगे बढ़ाया. अशोक की गिनती देश के स्टाइलिश बैटरों में की जाती थी लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट (1969-1978) में वे ज्यादा सफल नहीं हो सके. इंटर स्कूल क्रिकेट हैरिस शील्ड में अशोक ने 348, 328 और 258 रन बनाकर बड़ा बैटर बनने के संकेत दिए थे लेकिन बाद में वे इस स्तर को बरकरार नहीं रख सके. 219 फर्स्ट क्लास मैच में 50.90 के प्रभावी औसत से 12980 रन बनाने वाले अशोक 22 टेस्ट में 991 रन (6 फिफ्टी, औसत 25.41) ही बना सके. देश के लिए एक वनडे भी वे खेले और इसमें 44 रन बनाने के अलावा एक विकेट हासिल किया.
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अतुल और राहुल मांकड भी खेले फर्स्ट क्लास क्रिकेट
अशोक के दो छोटे भाई अतुल और राहुल भी फर्स्ट क्लास क्रिकेटर रहे हैं. हालांकि इन दोनों का करियर लंबा नहीं चला. अशोक से उम्र में तीन साल छोटे अतुल मांकड (Atul Mankad) ने सौराष्ट्र की ओर से तीन मैच खेलेते हुए 38 रन बनाए जबकि उनसे 9 साल छोटे राहुल ने 47 मैचों में 5 शतकों की मदद से 2111 रन बनाए और उनका औसत 35.77 का रहा. बाएं हाथ के स्पिनर के तौर पर 7 विकेट भी राहुल मांकड (Rahul Mankad)के नाम पर दर्ज हैं. अशोक, अतुल और राहुल, तीनों का निधन हो चुका है.
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टेनिस स्टार निरुपमा से हुई थी अशोक की शादी
अशोक मांकड़ की शादी निरुपमा (शादी से पहले का नाम निरुपमा वसंत) से हुई थी थी जो एशियन टेनिस चैंपियन रह चुकी हैं. वर्ष 1965 में महज 17 साल की उम्र में निरुपमा ने यह खिताब जीता था. वर्ष 1964 से 1979 तक टेनिस खेलीं निरुपमा किसी ग्रैडस्लैम इवेंट के मुख्य ड्रॉ में स्थान बनाने वाली मॉडर्न एरा की पहली भारतीय महिला थीं. विंबलडन के मिक्स्ड डबल्स वर्ग में आनंद अमृतराज के साथ जोड़ी बनाकर खेलीं निरुपमा सिंगल्स में देश की नंबर वन प्लेयर भी रही हैं. महिला टेनिस में योगदान के लिए निरुपमा को 1980 में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था.
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निरुपमा-अशोक के बेटे हर्ष ने भारत के लिए टेनिस खेली
मां और पिता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए निरुपमा और अशोक के बेटे हर्ष भी इंटरनेशनल प्लेयर बने. 2001 से 2010 तक वे भारत के लिए टेनिस खेले और एक समय देश के नंबर वन टेनिस प्लेयर भी रहे. जूनियर वर्ग में उन्होंने विभिन्न एज ग्रुप का नेशनल खिताब जीता. एटीपी टेनिस टूर में उन्होंने दुनिया के कई दिग्गज प्लेयर्स के खिलाफ मैच खेले. कई साल तक भारत की डेविस कप टीम के मेंबर रहे हर्ष ने 2010 के विंबलडन डबल्स वर्ग के मैन ड्रॉ में भी जगह बनाई थी.
Tags: Indian cricket, Tennis Player, Test cricket
FIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 15:23 IST