आकाश दीप के लिए ट्रांसलेटर बने अश्विन, विराट को बोल्ड कर बच्चों की तरह झूमने लगे अक्षर, बड़ी पारी खेलने को बेताब विराट- रोहित

कानपुर. टीम इंडिया का अभ्यास सत्र जैसे ही खत्म हुआ उसके ठीक बाद कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में बारिश होने लगी. हालांकि, मैच से ठीक एक दिन पहले ये वैकल्पिक अभ्यास सत्र था जिसमें कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल जैसे बल्लेबाजों ने अभ्यास नहीं किया. वहीं जसप्रीत बुमराह और मोहमम्द सिराज जैसे अनुभवी गेंदबाज भी मैदान से नदारद ही रहे. लेकिन, इसकी वजह ये भी रही कि बुधवार को करीब 3 घंटे के अभ्सास सत्र में हर खिलाड़ी ने जमकर पसीना बहाया. हाल के समय में रोहित और विराट कोहली को नेट्स के दौरान देखना काफी दिलचस्प लगता है. ऐसा लगता है कि दोनों खिलाड़ियों के सिर से तनाव का एक पहाड़ टी20 वर्ल्ड कप के बाद से हट सा गया है. ये दोनों आपको अक्सर साथ में दिखेंगे और काफी समय हंसी-मजाक की मुद्रा में.

ऐसा लगता है कि जैसे 2008-10 वाला दौर वापस गया हो जब ये दोनों युवा खिलाड़ी टीम इंडिया में खुद को स्थापित करने की कोशिश में थे. और इन्हें बेहद प्रतिभाली खिलाड़ियों के तौर पर देखा जा रहा था. उसी दौर के एक और नियमित खिलाड़ी गौतम गंभीर अब इस टीम के हेड कोच हैं और उन्हें भी आप उनकी गंभीर छवि के विपरीत मुस्कान बिखेरते हुए अक्सर देख सकते हैं. खासकर, जब वो अपनी टीम के साथियों के साथ दिखे. कुछ ऐसा ही नजारा टेस्ट मैच से ठीक एक दिन पहले पिच पर देखने को मिला जब गंभीर और रोहित शर्मा टहलते हुए गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्केल और रविचंद्रन अश्विन के पास पहुंचे.
बाद में जब इस लेखक ने अश्विन के हिंदी यूट्यूब चैनल पर खुद अश्विन से उस बात-चीत के बारे में पूछा तो वो मजाक में टाल गए. लेकिन, बाद में उन्होंने ये जरूर बताया कि मोर्केल के लिए वो अपने युवा तेज गेंदबाज आकाश दीप के लिए अनुवादक की भूमिका निभा रहे थे. अश्विन ने ये भी बताया कि किस तरह से मोर्केल उनसे ये जानना चाह रहे थे कि भारतीय पिचों पर स्पिनर्स इतने बेहतरीन तरीके से शिकंजा कैसे कस देते हैं.

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बुधवार को करीब 40 मिनट तक बल्लेबाजी का अभ्यास करने वाले कोहली जब गुरुवार को भी बल्लेबाजी के लिए नेट्स पर पहुंते तो थोड़ी हैरानी हुई. अक्सर मैच से ठीक एक दिन पर वैकल्पिक नेट्स सत्र के दौरान कोहली भी आराम ही करते हैं. लेकिन, कानपुर की स्लो-स्पिन वाली पिच पर चुनौती कुछ अलग सी हो और इसके लिए कोहली कुछ अलग रणनीति पर काम कर रहें हों. वैसे बुधवार को जब अक्षर पटेल ने अपनी एक घूमती गेंद से छकाते हुए उन्हें बोल्ड किया तो वो बच्चों की तरह खुश हो गए और जश्न भी मनाया जिस पर कोहली ने हंसते हुए उन्हें भी मजाक में ये कहने की कोशिश की अरे ऐसी कोई बात नहीं!

खैर, एक बात जो कोहली शायद अब मजाक में नहीं टाल सकते वो ये कि ऑस्ट्रेलिया दौरे से ठीक पहले उनको अपने पु(राने पराक्रम के दौर को फिर से दुनिया के सामने रखना है. चेन्नई टेस्ट की दोनों पारियों में अर्धशतक तक नहीं बना पाने वाले कोहली को ये बखूबी एहसास है कि कैसे उनके समकालीन जो रूट और केन विलियमसन टेस्ट शतकों मामले में एक अलग निरंतरता दिखा रहें हैं. बांग्लादेश के ही खिलाफ नवंबर 2019 में कोलकाता में 136 रनों की पारी खेलने के बाद से कोहली ने 30 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उनके सिर्फ 2 शतक आए हैं. निश्चित तौर पर ये आंकड़े कोहली जैसे विराट खिलाड़ी की शख्सियत के साथ मेल नहीं खाते हैं. ये उम्मीद की जा सकती है कि कानुपर में कोहली का एक टेस्ट शतक जरूर देखने को मिले. इस दौरान कोहली को टेस्ट औसत भी (32.72) उनके करियर औसत से काफी नीचे आ गया है. कोहली के लिए कुछ साल पहले तक 50 से ऊपर का औसत रखना महज एक औपचारिकता हुआ करती थी. अपने प्रभुत्व के दौर में वो 60 के करीब तक भी अपने औसत को ले जाने में कामयाब हुए थे.

बहरहाल, टीम इंडिया के पास ऐसा बल्लेबाजी क्रम है जो ना सिर्फ कोहली बल्कि कप्तान रोहित शर्मा की नाकामी के बावजूद चेन्नई में जरा भी परेशान नहीं हुई. इसकी वजह ना सिर्फ ऋषभ पंत और शुभमन गिल के शतक रहे बल्कि ऑलराउंडर के तौर पर अश्विन और जडेजा की शानदार बल्लेबाजी भी. चेन्नई में पहली पारी में ओपनर यशस्वी जायसवाल ने भी अच्छी शुरुआत करते हुए अर्धशतक तो बनाया लेकिन एक बड़ी पारी नहीं खेल पाए थे. शायद इसलिए जब वो नेट प्रैक्टिस के दौरान रोहित शर्मा के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे तो कप्तान उनसे लगातार बातें कर रहें थे. कभी उनको सलाह देते दिख रहे ते तो कभी हौसला अफजाई करते तो कभी उनके अच्छे शॉट पर अभिवादन करते हुए. जब से जायसवाल ने वेस्टइंडीज में पिछले साल अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की है भारतीय कप्तान उनको एक खास तरीके से मेंटोर करने की कोशिश कर रहें हैं.

इंग्लैंड के खिलाफ पिछली घरेलू सीरीज में जायसवाल का बल्ला तहलका मचा रहा था तब भी रोहित ने सार्वजिनक तौर पर उनकी तारीफ करने से परहेज किया था और जब सीरीज धर्मशाला में खत्म हुई तब उन्होंने युवा खिलाड़ी की तारीफ की. शायद रोहित को एक महीने बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे की चुनौती का एहसास है और उन्हें पता है कि वहां पर कामयाबी हासिल करने के लिए जायसवाल जैसे ओपनर का बेहतरीन फॉर्म में रहना कितना जरूरी है. खैर, बांग्लादेश को एक बार फिर से पस्त करने के लिए टीम इंडिया को अपनी रणनीति बदलने के लिए बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसा लगभग तय है कि तीसरे सीमर की बजाए यहां पर कुलदीप यादव के तौर पर तीसरे स्पिनर को मौका मिलेगा. टीम इंडिया 2013 से लगातार हर टेस्ट सीरीज घर पर जीतते हुए 17 सीरीज जीत चुकी है. और कानपुर का ऐतिहासिक मैदान उनकी 18वीं सीरीज का गवाह बनने का इतंजार कर रहा है.

Tags: India vs Bangladesh, R ashwin, Rohit sharma, Virat Kohli

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