VIDEO: वर्ल्ड कप जिताने के 4 साल बाद डिप्रेशन में चला गया था विस्फोटक ओपनर, सुनाई आपबीती- मैं अकेला नहीं हूं

नई दिल्ली. टीम इंडिया के पूर्व ओपनर रॉबिन उथप्पा ने डिप्रेशन से अपनी संघर्ष की कहानी को साझा किया है. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अवसाद से ग्रसित होने का मंगलवार को खुलासा किया. तब वह खुद को बेकार समझने लगे थे. उनको लग रहा था कि उनका कोई वजूद ही नहीं है. 2007 टी20 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा रह चुके उथप्पा ने सोशल मीडिया पर आकर अपने निजी अनुभव को बताया. उन्होंने बताया कि क्रिकेट के मैदान पर कई बैटल का सामना किया लेकिन उनमें से कोई भी डिप्रेशन से जूझने जितनी चुनौतीपूर्ण नहीं थी.

38 वर्षीय दाएं हाथ के पूर्व बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा (Robin Uthappa) ने अपने ताजा यूट्यूब वीडियो में इस मामले पर आगे चर्चा करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘मैंने क्रिकेट के मैदान पर कई लड़ाइयां लड़ी है. लेकिन उनमें से कोई भी उतनी कठिन नहीं थी जितनी कि मैंने डिप्रेशन से लड़ाई लड़ी. मैं मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चुप्पी तोड़ रहा हूं क्योंकि मुझे पता है कि मैं अकेला नहीं हूं. भलाई को अहमियत दें और अंधेरे में उम्मीदें खोजें. जब मैं अवसाद से गुजर रहा था तो मुझे अक्सर यह महसूस होता था कि मैं उन लोगों के लिए बोझ हूं. जो मेरे आस-पास हैं. मैं जिस स्थिति में रहना चाहता था उससे बहुत दूर था और मेरे पास कोई जवाब नहीं था.’ उथप्पा ने मैं ट्रू लर्निंग के एपिसोड में अपनी आपबीती सुनाई.

उथप्पा 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने साउथ अफ्रीका में पहला टी20 विश्व कप जीता था. उसके ठीक चार साल बाद यानी 2011 में वह डिप्रेशन का शिकार हो गए. विश्व कप जीतने के बाद उथप्पा टीम इंडिया से अंदर बाहर होते रहे. डिप्रेशन में जाने की उनकी एक वजह ये भी हो सकती है. कर्नाटक के इस क्रिकेटर ने कहा, ‘मैं हफ्तों, महीनों, वर्षों तक अपने बिस्तर से नहीं उठना चाहता था. मुझे याद है कि 2011 में मैं पूरे साल इस बात से इतना शर्मिंदा था कि मैं एक इंसान के रूप में कैसा हो गया हूं. मैंने उस पूरे साल आईना नहीं देखा था. मैं आपको बस इतना बताना चाहता हूं कि चाहे जो भी हो, इससे निकलने का रास्ता है. इस तरह के मामले में आपको यह स्वीकार करना होगा कि कुछ गड़बड़ है. इनकार में रहने से मदद नहीं मिलेगी. अगर आप अपनी स्थिति के बारे में स्वीकार नहीं करेंगे तो उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होगा. इससे निकलने का शायद एक बढ़िया तरीका यह होगा कि अपने बारे में कुछ लिखना शुरू करें. इस तरह मुझे पता चला कि आपके साथ कुछ गड़बड़ है.’

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