नई दिल्ली. कामयाबी के लिए इंसान हर तरह की जुगत भिड़ाता है. क्रिकेट की बात करें तो रनों के ‘सूखे’ की स्थिति या खास मौकों पर कुछ बैटर, साथी प्लेयर का बैट लेकर मैदान में उतरे हैं. इससे इतर कुछ मौकों पर परिस्थितियां ऐसी निर्मित हुईं कि बैटर को टीम के अपने साथी से बैट उधार लेना पड़ा. यह संयोग ही है कि साथी का बैट लेकर मैदान पर उतरना कुछ बैटर के लिए लकी साबित हुआ है और वे ‘पराये’ बैट से अच्छे खास रन जुटाने में सफल रहे हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट में साथी का बल्ला लेकर मैदान पर उतरने वाले प्लेयर में पिछले माह ही अभिषेक शर्मा का नाम शामिल हो गया है.टीम इंडिया के प्रतिभावान युवा बैटरों में से एक अभिषेक ने जिम्बाब्वे के खिलाफ तीन मैचों की टी20 सीरीज में इंटरनेशनल डेब्यू किया और पहले मैच में खाता खोले बिना ही पवेलियन लौटना पड़ा. दूसरे मैच में उन्होंने अंडर-19 वर्ल्डकप 2018 की चैंपियन भारतीय टीम के सहयोगी शुभमन गिल से बैट उधार लिया और 46 गेंदों पर तूफानी शतक जड़ने में कामयाब रहे.टी20 फॉर्मेट में यह भारत की ओर से तीसरा सबसे तेज शतक रहा.
मैच के बाद अभिषेक ने खुलासा किया था कि उन्होंने इस शतक के लिए कप्तान गिल के बैट का इस्तेमाल किया. इससे पहले भी वे ऐसा करते रहे हैं. अभिषेक ने कहा, मैं शुभमन के बल्ले से खेला. जब भी मुझे रन की दरकार होती है तो मैं उनका बल्ला मांगता हूं. हालांकि उससे बल्ला हासिल करना आसान नहीं होता.’ इंटरनेशनल क्रिकेट में अभिषेक से पहले कुछ और खिलाड़ी भी साथी प्लेयर का बैट लेकर रन और रिकॉर्ड बना चुके हैं, इसमें भारत के मोहिंदर अमरनाथ, शिखर धवन, पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी और 1930 के दशक में इंग्लैंड की ओर से खेले एंडी सैंडम (Andy Sandham) शामिल हैं.
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1930 की टेस्ट सीरीज में कप्तान से बैट लेकर जड़ी ट्रिपल सेंचुरी
वर्ष 1921 से 1930 तक इंग्लैंड के लिए 14 टेस्ट खेले एंडी सैंडम ने 38.21 के औसत और दो शतकों की मदद से 879 रन बनाए जिसमें एक तिहरा शतक है. सैंडम ने यह तिहरा शतक करियर के आखिरी टेस्ट में ‘उधार के बैट’ से बनाया था. यह बैट उन्हें मजबूरी में उधार लेना पड़ा था.दरअसल, 1930 की इंग्लैंड-वेस्टइंडीज सीरीज के दौरान सैंडम ने अपने सारे ‘एक्स्ट्रा’बैट बेच दिए और अपने पास केवल एक अच्छा बैट रखा. यह बैट सीरीज के आखिरी टेस्ट के पहले टूट गया.मजबूरी में सैंडम को अपने कप्तान फ्रेडी केलथोर्प से बैट मांगना पड़ा. सैंडम छोटे हैंडल वाला बैट यूज करते थे लेकिन कप्तान के बैट का हैंडल काफी लंबा था.
संयोग देखिए, इस बैट से ही सैंडम ने 40 साल की उम्र में 325 रन (28 चौके) बनाए जो उस समय टेस्ट क्रिकेट की पहली ट्रिपल सेंचुरी रही. अप्रैल 1930 में किंग्स्टन में हुए इस टेस्ट की दूसरी पारी में भी उन्होंने 50 रन बनाए थे. सैंडम की ओर से बनाया गया यह रिकॉर्ड कुछ माह बाद ही ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रेडमैन ने जुलाई 1930 में इंग्लैंड के खिलाफ 334 रन की पारी खेलकर तोड़ दिया.
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उधार के बैट से कॉम्पटन ने खेली थी 158 रन की पारी
1955 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड के डेनिस कॉम्पटन (Denis Compton) को भी अपने साथी खिलाड़ी से मजबूरी में बैट उधार लेना पड़ा था.चीफ सिलेक्टर गबी एलेन और कैप्टन मे ने सारे प्लेयर्स को एक दिन पहले, दोपहर 3 बजे नेट पर रिपोर्ट करने को कहा था. परिवार के साथ कॉम्पटन ससेक्स में बीच पर समय बिता रहे थे,उन्हें लगा कि वे समय पर नहीं पहुंच पाएंगे.ऐसे में उन्होंने तुरंत उन्होंने दोस्त की मदद ली और उसके हेलीकॉप्टर से ओल्डट्रैफर्ड ड्रॉप करने का आग्रह किया. जल्दबाजी में अपनी क्रिकेट किट भी उन्होंने साथ नहीं ली थी. लेकिन कॉम्प्टन की किस्मत खराब थी.खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर को डर्बी में लैंड कराना पड़ा. वे रात में ही ओल्डट्रेफर्ड पहुंच पाए और कप्तान-चीफ सिलेक्टर से माफी मांगी.चूंकि वे बिना किट के मैदान पहुंचे थे ऐसे में उन्होंने साथी ऑलराउंडर फ्रेड टिटमस से बैट उधार लिया और इंग्लैंड के 22 रन पर विकेट गिरने के बाद मैदान पर उतरे और इसी बैट से 158 रन बनाए.
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संदीप पाटिल के बैट से मोहिंदर ने लगाया था रनों का अंबार
वर्ल्डकप 1983 की चैंपियन भारतीय टीम के उपकप्तान मोहिंदर अमरनाथ (Mohinder Amarnath) को साथी बैटर संदीप पाटिल (Sandeep Patil) का एक बैट बेहद लकी साबित हुआ. यह बैट उनहें पाटिल ने गिफ्ट किया था. ‘जिमी’ के नाम से पॉपुलर मोहिंदर ने इस बैट से पाकिस्तान में हुई 1982-83 की सीरीज में 584 और इसके बाद वेस्टइंडीज में हुई सीरीज में 598 रन बनाए. वे वर्ल्डकप 1983 के सेमीफाइनल और फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच भी बने. संयोग देखिए, यह बैट चोरी हो गया और उनका खराब दौर शुरू हो गया.पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में वे बुरी तरह फ्लॉप रहे.
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सचिन ने वकार को बैट दिया, इसी से अफरीदी ने बनाया था वर्ल्डरिकॉर्ड
1990 के दशक में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने तेज गेंदबाज वकार यूनुस (Waqar Younis) को अपना एक बैटर उनसे सियालकोट से इसी तरह को बैट तैयार कराने का अनुरोध किया था. पाकिस्तान का सियालकोट शहर क्रिकेट के साजोसामान के लिए मशहूर है. वकार को दिया गया सचिन का यही बैट बाद में शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi ) के एक बड़े रिकॉर्ड का जरिया बना. इसी बैट से अफरीदी ने श्रीलंका के खिलाफ मैच में महज 37 गेंदों पर शतक जड़ा था जो उस समय का वनडे इतिहास का सबसे तेज शतक था.
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मुरली विजय के बैट से ‘गब्बर’ ने टेस्ट डेब्यू पर जड़ा था शतक
बाएं हाथ के बैटर शिखर धवन (Shikhar Dhawan) ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013 में अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था. मोहाली में अपने डेब्यू टेस्ट में ही उन्होंने धमाकेदार शतक (187 रन) जड़ा था. मजे की बात यह है कि जिस बैट से धवन ने यह पारी खेली थी, वह साथी ओपनर मुरली विजय (Murali Vijay) का था. धवन के साथ मुरली विजय (153 रन) ने भी इस टेस्ट में शतक जमाया था और दोनों के बीच 289 रन की साझेदारी हुई थी.साथी प्लेयर्स में ‘गब्बर’ के नाम से पॉपुलर, धवन को यह बैट इतना पसंद आया कि वे 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी में भी इससे खेले और दो वनडे शतक जड़े. इस टूर्नामेंट के धवन टॉप स्कोरर थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी.उनकी इस कामयाबी में विजय के बैट का भी खास योगदान था.
इसी तरह एशिया कप 2022 के अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में जिस बैट से नसीम शाह (Naseem Shah)ने आखिरी ओवर की पहली दो गेंदों पर छक्के पाकिस्तान को जीत दिलाई थी, वह साथी गेंदबाज मोहम्मद हसनैन का था. हसनैन इस पारी के दौरान नसीम के साथ बैटिंग कर रहे थे.मैच के अगले दिन उन्होंने यह बैट नसीम शाह को गिफ्ट कर दिया था. नसीम ने इस बैट को पाकिस्तान के बाढ़ पीड़ितों की आर्थिक मदद के लिए ऑक्शन करने को दे दिया था.
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FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 12:04 IST