सनातन धर्म में सिर्फ पेड़-पौधे ही नहीं, बल्कि छोटी से छोटी घास तक को पवित्रता का प्रतीक माना गया है. इन्हीं में से एक कुचा घास, जो धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि कृषि और स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है. ये नाजुक और कोमल घास, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने से लेकर बीमारियों के उपचार तक में उपयोगी है. ये घास हमारी परंपराओं और पर्यावरण के साथ गहरा संबंध रखती है.
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आम नहीं बेहद खास है ये घास, धार्मिक अनुष्ठानों में होती है इस्तेमाल

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