श्रीनगर गढ़वाल: पहाड़ी क्षेत्रों में झाड़ी के रूप में पाया जाने वाला किंगोड़ (बरबरीस एरिसटाटा) आमतौर पर खेतों की बाड़ के लिए प्रयोग होता है.आपको यह जानकर हैरानी होगी की यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है. इस पौधे के बीज से लेकर जड़ तक अलग अलग औषधीय गुण हैं.
गढ़वाल विश्विद्यालय के फॉरेस्ट्री विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जेएस बुटोला ने लोकल 18 को बताया कि किंगोड़ का इस्तेमाल विश्वस्तर पर होता है. किंगोड़ में बर्बेरिन नाम का एक केमिकल होता है जिसे बहुत सारी फार्मा कंपनियां इस्तेमाल करती हैं.
आंखों से संबंधित बीमारी में कारगर है किंगोड़ की जड़
डॉ. जेएस बुटोला बताते हैं कि किंडोग की जड़ों को पानी के साथ उबालकर, जब केवल एक चौथाई पानी बच जाए, इस द्रव्य से आंखों को साफ करने पर जिसे आम भाषा में आंख आना (कंजंक्टिवाइटिस) कहा जाता है वह ठीक हो जाता है. साथ ही, यह आंखों से संबंधित अन्य बीमारियों को भी ठीक करने में कारगर होता है. परंपरागत ज्ञान जो हमारे पूर्वजों के अनुभवों पर आधारित है.लोग इसके औषधीय गुणों को धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं. किंगोड़ का उपयोग न केवल आयुर्वेद में बल्कि एलोपैथी में भी किया जाता है.
इन बीमारियों के इलाज में होता है प्रयोग
किंगोड़ का प्रयोग न केवल आंखों की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है,यह डायबिटीज को ठीक करने में भी सहायक है. इसके अलावा, कील-मुहासों को ठीक करने में भी इसका उपयोग किया जाता है. लिवर के लिए भी यह बेहद फायदेमंद होता है.हिमालय में किंगोड़ की चार से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से बरबरीस एरिसटाटा प्रजाति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें बर्बेरिन केमिकल की मात्रा अधिक होती है. इस कारण से, इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है.
डायबिटीज का प्रकृति इलाज है किंगोड़
किंगोड़ की जड़ के साथ ही इसके फल से भी जूस निकालकर डायबिटीज के उपचार में उपयोग किया जाता है.यह जूस न केवल रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है, बल्कि इसके नियमित सेवन से डायबिटीज से संबंधित अन्य जटिलताओं को भी कम किया जा सकता है. किंगोड़ के फल और जड़ दोनों का यह संयुक्त प्रभाव इसे डायबिटीज के प्राकृतिक उपचार के रूप में महत्वपूर्ण बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 07:40 IST
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