Does Aging Hits Us in Ours 40s and 60s: आपने वो कहावत तो जरूर सुनी होगी, ‘सठिया जाना’. अक्सर जब भी कोई ‘बुढ़ापे’ की बातें या उस तरह का जिद्दी व्यवहार करने लगता है तो अक्सर यही कहा जाता है कि, ‘भाई सठिया गए हो गया’. 60 की उम्र को बुढ़ापे का पैमाना सालों से इस कहावत के जरिए हम मान रहे हैं. लेकिन हाल ही में हुई एक ताजा स्टडी ने इस बात की पुष्टि कर दी है. हाल ही में किए गए एक रिसर्च से सामने आया है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया भले ही कितनी धीमी और स्थिर प्रक्रिया हो, लेकिन उम्र के 2 पढ़ाव ऐसे हैं, जब शरीर में ऐजिंग के प्रमाण या कहें प्रोसेस बहुत तेजी से होते हैं. इस नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि उम्र बढ़ने के दो महत्वपूर्ण चरण लगभग 44 और 60 साल की उम्र में होते हैं, जिनके दौरान शरीर में कई प्रमुख परिवर्तन होते हैं.
क्या कहता है ये नया शोध
स्टैनफोर्ड यूनीर्वसिटी के जीनोमिक्स और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन सेंटर के निदेशक प्रोफेसर माइकल स्नाइडर के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में 25 से 75 साल की उम्र के हजारों लोगों को लिया गया. इस स्टडी के लिए उनके विभिन्न अणुओं की निगरानी की गई. शोध में 108 वॉलेंटिर्य ने ब्लड और मल के सैंपल के अलावा स्किन, मुंह और नाक से स्वाब्स (सूक्ष्मजीवों के नमूने) दिए. इस अध्ययान के दौरान 135,000 विभिन्न अणुओं (RNA, प्रोटीन और मेटाबोलाइट्स) और सूक्ष्मजीवों (गट और त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और फंगी) का विश्लेषण किया गया.
महिला और पुरुष, दोनों में दिखते हैं बदलाव
शोध में पाया गया कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया एक तरह से और क्रमिक नहीं होती. बल्कि, शरीर में परिवर्तन एक खास उम्र में तेजी से होते हैं. शरीर में ये बदलाव मुख्य रूप से उम्र के 2 पढ़ाव में ज्यादा देखने को मिलता है. उम्र के ये पढ़ाव हैं 44 और 60. रिसर्च बताती है कि 40 के दशक में उम्र का पहला बदलाव या कहें एजिग का असर दिखता है. इस उम्र में दिल की बीमारियों से जुड़े अणुओं, कैफीन, अल्कोहल और लिपिड्स के मेटाबोलिज़्म से जुड़े अणुओं में बदलाव देखा गया. यह बदलाव केवल महिलाओं में ही नहीं, बल्कि पुरुषों में भी समान रूप से देखे गए. उम्र का दूसरा पढ़ाव होता है, 60 के दशक में. इस उम्र में इम्यूनिटी सिस्टम, कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज़्म और किडनी फंक्शन से जुड़े मॉलीक्यूल में बदलाव देखा गया है. त्वचा और मांसपेशियों की उम्र बढ़ने से जुड़े मॉलिक्यूल में भी परिवर्तन हुआ.

इस नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि उम्र बढ़ने के दो महत्वपूर्ण चरण लगभग 44 और 60.
एजिंग को प्रभावित करते हैं ये फैक्टर
बता दें कि एजिंग को लेकर कई रिसर्च हो रही हैं और वैज्ञानिक ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर वो कौनसे फैक्टर हैं जो मनुष्य की उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं और इसे कैसे धीमा किया जा सकता है. सेल्यूलर लेवल पर बात करें तो उम्र के बढ़ने की प्रक्रिया असल में शरीर में आई कमियों की वजह से होती है जो लंबे समय के दौरान आती हैं. अब इसकी कुछ भी वजह हो सकती है, जैसे सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें, न्यूट्रिशन आदि. 40 के दशक में आने वाले एजिंग के निशान बताते हैं कि इसका संबंध काफी हद तक जीवनशैली से होता है. वहीं शोध के अनुसार, 60 के दशक के बाद हृदय रोग और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ जाता है. इसलिए, समय-समय पर जीवनशैली में बदलाव और सही आहार-व्यायाम की आदतें अपनाना फायदेमंद हो सकता है.
इस ताजा रिसर्च से ये साफ है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया एक क्रमिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण स्टेज होती हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों और अणुओं पर प्रभाव डालते हैं. इससे साफ है कि अगर आप समय रहते अपनी जीवनशैली में सही बदलाव करते हैं तो आप इस प्रक्रिया के तहत सेहत में होने वाले बदलावों में खुद को बेहतर रख सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 19:08 IST