अगर यह बीमारी यहां से बाहर गई तो दुनिया में मचा सकती है तबाही, WHO ने बुलाई इमरजेंसी बैठक, जानें क्यों है इतना खतरनाक

Mpox deadly strains: मंकीपॉक्स के बारे में सबने सुना होगा. इसे लेकर लोगों में इतनी चिंता भी नहीं है लेकिन अफ्रीका में मंकीपॉक्स का इतना खतरनाक नया स्ट्रैन सामने आया है जिसमें पूरी दुनिया में महामारी फैलानी की क्षमता है. इस आपात खतरे के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है. डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने कहा कि वैज्ञानिकों के अब तक के अनुसंधान से ऐसा लगता है कि मंकीपॉक्स का यह स्ट्रैन बहुत घातक है औऱ इसमें अफ्रीका में और अगर यह अफ्रीका से बाहर गया तो पूरे विश्व में फैलने की आशंका है. मंकीपॉक्स वायरस के नए स्ट्रैन की खोज डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में इसी साल अप्रैल में की गई है. यह इतना खतरनाक है कि 10 संक्रमित मरीजों में से एक की जान ले लेता है. यह बीमारी अब कांगों के बाहर भी फैलने लगी है. इसलिए डब्ल्यूएचओ इस बात के लिए बैठक बुलाई है कि क्या यह वायरस दुनिया में इमरजेंसी स्थिति पैदा कर सकता है.

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में फैला है नया स्ट्रैन
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों बेहद सघन आबादी वाला देश है जिसके साथ कई अन्य देशों के बॉर्डर लगते हैं और यहां का इन देशों में आवागमन होता रहता है. इसलिए यह अंदेशा है कि यह बीमारी देर-सवेर इन पड़ोसी देशों में भी फैल सकती है और इससे अन्य देशों में बढ़ सकती है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस का नया स्ट्रैन कांगों के उस हिस्से में भी जाने लगा है जहां पहले यह बीमारी नहीं थी. पिछले महीने मंकीपॉक्स के 50 नए केसेज कांगो से सटे अन्य चार देशों में पाए गए थे. हालांकि इससे पहले इन देशों मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया था. इन देशों में ब्रुंडी, केन्या, रवांडा और यूगांडा शामिल है.

किन लोगों को ज्यादा खतरा

पहले की तरह ही मंकीपॉक्स के वायरस उन पुरुषों को ज्यादा संक्रमित करता है जो पुरुष अन्य पुरुष के साथ यौन संबंध बनाते हैं. इसके साथ ही जिन व्यक्तियों के कई व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध है, उन्हें भी मंकीपॉक्स का संक्रमण ज्यादा हो रहा है. खासकर यह बीमारी यौनकर्मियों में ज्यादा हो रही है. डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. टेड्रोस ने बताया कि डब्ल्यूएचओ बीमारी से प्रभावित देशों की सरकारों के साथ काम कर रहा है और इससे निपटने के उपायों की दिशा में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सामुदायिक स्तर पर समग्र रणनीति की जरूरत है. हालांकि अब तक कांगो से ट्रांसपोर्टेशन को बंद करने की सलाह नहीं दी गई है लेकिन प्रभावित देशों में सख्त सर्विलांस की जरूरत है. इसके लिए अमेरिका से 1.5 करोड़ डॉलर की सहायता भी मांगी गई है.

2022 में पहला केस
2022 में ही लंदन में इसका पहला मामला सामने आया था. तब विचार-विमर्श के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका नाम एमपॉक्स (mpox)रखा था. 2022 में मंकीपॉक्स के मामले को अंतरराष्ट्रीय एपीडमेकि या महामारी माना गया था. तब 100 से अधिक देशों में इसके मामले सामने आए थे और इसमें 100 लोगों की मौत भी हुई थी जिनमें अकेले अमेरिका के 58 लोग शामिल थे. उस समय जो मंकपॉक्स के दो स्ट्रैन थे, वे बहुत कम खतरनाक थे. लेकिन पिछले एक साल से कांगो में बेहद खतरनाक स्ट्रैन सामने आया है. इसे clade1a कहा गया है. इससे संक्रमितों में से 10 प्रतिशत की मौत हो जाती है. वहीं अब इससे भी खतरनाक स्ट्रैन clade1b आ गया है जो और ज्यादा खतरनाक है. clade1b के केस केन्या, रवांडा और यूगांडा में बी पाए गए. अब तक सभी तरह के मंकीपॉक्स के 14 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं.

मंकीपॉक्स के लक्षण
मायो क्लीनिक के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण के 3 से 17 दिनों के बाद अपना असर दिखाने लगता है. इसके बाद बुखार, स्किन में रैशेज, नसों का फूलना, सिर दर्द, बदन में ऐंठन, पीठ में दर्द, ठंडी और थकान जैसे लक्षण मरीज में दिखने लगते हैं. मंकीपॉक्स में स्किन पर रैशेज मुख्य रूप से मुंह, हाथ और पैरों में होते हैं.

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