नई दिल्ली. एक ही सरनेम वाले तीन भारतीय क्रिकेटरों के साथ कमाल का संयोग जुड़ा हुआ है. ‘बनर्जी’ सरनेम के तीन क्रिकेटर- सुदांगशु बनर्जी (Sudangsu Banerjee), शरोदिंदु बनर्जी (Sarodindu Banerjee) और सुब्रतो बनर्जी (Subroto Banerjee) तेज गेंदबाज की हैसियत से भारत की ओर से खेल चुके हैं. तीनों ही दाएं हाथ के फास्ट बॉलर थे और डेब्यू टेस्ट में ठीकठाक प्रदर्शन करने के बाद फिर कभी टेस्ट नहीं खेल पाए. इन तीनों क्रिकेटरों में से कोलकाता (तब कलकत्ता) में जन्मे सुदांगशु और सारोबिंदु के इंटरनेशनल करियर में तो एक माह का फर्क रहा. दोनों ने वेस्टइंडीज के खिलाफ एक ही सीरीज (1948-49) में टेस्ट डेब्यू किया.
‘मोंटू’ बनर्जी के नाम से पॉपुलर सुदांश ने 31 दिसंबर 1948 से ईंडन गार्डंस पर शुरू हुए तीसरे टेस्ट में डेब्यू किया. वहीं ‘शूटे’ के नाम से पॉपुलर शरोदिंदु 4 फरवरी 1949 से बॉम्बे के ब्रेबार्न स्टेडियम पर शुरू हुए पांचवें टेस्ट में पहली बार इंटरनेशनल क्रिकेट खेले. मोंटू और शूटे बनर्जी की समानता यहीं खत्म नहीं हो जाती. इन दोनों ने अपने एकमात्र टेस्ट में 5-5 विकेट हासिल किए. बनर्जी सरनेम वाले तीसरे क्रिकेटर सुब्रतो बनर्जी ने इसके चार दशक बाद जनवरी 1992 में टेस्ट डेब्यू किया. हालांकि इससे पहले दिसंबर 1991 में वे टीम इंडिया के लिए 6 वनडे मैच भी खेले. चेन्नई स्थित MRF पेस फाउंडेशन में डेनिस लिली के मार्गदर्शन में फास्ट बॉलिंग की बारीकियां सीखने वाले सुब्रतो साथी प्लेयर्स के बीच ‘सुब्बू’ नाम से पुकारे जाते हैं. वे इस समय अजीत आगरकर की अगुवाई वाली सिलेक्शन कमेटी के सदस्य हैं.
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मोंटू और शूटे ने डेब्यू टेस्ट में लिए 5 विकेट
मोंटू ने 29 साल की उम्र में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पहले और अंतिम टेस्ट में भारतीय तेज गेंदबाजी की शुरुआत की और पहली पारी में 30 ओवर्स में 120 रन देकर 4 विकेट हासिल किए. गुलाम अहमद के साथ वे भारत के सबसे सफल बॉलर रहे थे. ड्रॉ रहे इस टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने 21 ओवर्स में 61 रन देकर 1 विकेट लिया. एकमात्र टेस्ट में 36.20 के औसत से 5 विकेट लेने के अलावा मंटू ने मैच में 3 कैच भी लपके थे.उन्होंने 26 फर्स्ट क्लास मैचों में 23.28 के औसत से 92 विकेट लेने के अलावा 232 रन भी बनाए. इस दौरान 50 रन देकर 7 विकेट सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा.
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शूटे को 37 साल की उम्र में मिला डेब्यू का मौका
मोंटू की तरह शूटे बनर्जी ने भी अपने पहले और अंतिम टेस्ट में 5 विकेट लिए. फर्क केवल यह रहा कि शूटे ने वेस्टइंडीज की पहली पारी में एक विकेट (1/73) लिया और दूसरी पारी में 4 विकेट (4/54). मैच में उन्होंने भी मैच में मंटू की तरह दोनों पारियों में भारतीय बॉलिंग का आगाज किया. एक टेस्ट में 25.40 के औसत से 5 विकेट लेने के अलावा उन्होंने 13 रनों का भी योगदान दिया था. शूटे 1936 और 1946 में इंग्लैंड का दौरा करने वाले भारतीय दल का भी हिस्सा थे लेकिन खेलने का मौका नहीं मिल सका था. 1911 में जन्मे शूटे को 37 साल की उम्र में तब टेस्ट डेब्यू का मौका मिला जब वे अपने सर्वश्रेष्ठ दौर को पीछे छोड़ चुके थे. डेब्यू टेस्ट के उनके प्रदर्शन को भी खराब नहीं माना जा सकता लेकिन इसके बाद उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिल सका. 138 फर्स्ट क्लास मैचों में 385 विकेट शूटे के बॉलिंग कौशल की कहानी बयां करते हैं. इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 25 रन देकर 8 विकेट रहा. बैटिंग में भी हाथ दिखाते हुए उन्होंने 5 शतक और 11 अर्धशतक जमाए.
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सुब्रतो बनर्जी एक टेस्ट और 6 वनडे खेले
बनर्जी सरनेम वाले तीसरे क्रिकेटर सुब्रतो ने टेस्ट डेब्यू से पहले दिसंबर 1991 में भारत के लिए छह वनडे खेले और 40.40 के औसत से 5 विकेट (सर्वश्रेष्ठ 3/30) लेने के अलावा 24.50 के औसत से 49 रन बनाए. वे ऑस्ट्रेलिया में हुए वर्ल्डकप-1992 के दो मैच की भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं, इन दो मैचों में उन्होंने 36 रन बनाए थे और एक विकेट लिया था. जनवरी 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में उन्होंने टेस्ट डेब्यू किया और ज्योफ मॉर्श, मार्क टेलर और मार्क वॉ जैसे दिग्गज बैटरों के विकेट झटके. इस पारी में वे कपिल देव और मनोज प्रभाकर के साथ भारत के सबसे सफल बॉलर (3-3 विकेट) थे. दूसरी पारी में उन्हें बॉलिंग का मौका नहीं मिला था. ‘सुब्बू’ इसके बाद दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे लेकिन उन्हें प्लेइंग XI में जगह नहीं मिली. सुब्रतो ने 59 फर्स्ट क्लास मैच में 135 विकेट (सर्वश्रेष्ठ 7/18) और 49 लिस्ट ए मैचों में 54 (सर्वश्रेष्ठ 7/40) विकेट लिए.
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आईपीएल टीम के बॉलिंग कोच रह चुके सुब्रतो
अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सुब्रतो की मुलाकात और दोस्ती स्वाति से हुई थी जो अब उनकी पत्नी हैं. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सुब्रतो कोच के तौर पर खेल से जुड़े रहे. नेशनल क्रिकेट एकेडमी यानी NCA में बतौर कोच सेवा देने के अलावा वे लगातार दो रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने वाली विदर्भ टीम के भी बॉलिंग कोच रहे. आईपीएल में मुंबई इंडियंस के बॉलिंग कोच की जिम्मेदारी संभाल चुके बनर्जी इस समय सीनियर सिलेक्शन कमेटी का हिस्सा हैं. स्पोर्ट्स एक तरह से सुब्रतो को विरासत में मिला. उनके पिता टाटा बनर्जी भी क्रिकेटर थे और बिहार की टीम से तीन फर्स्ट क्लास मैच खेले. सुब्रतो के मामा पीके बनर्जी मशहूर फुटबॉलर थे. देश की दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ियों में PK की गिनती होती थी.
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FIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 08:13 IST