Keoladeo National park : पक्षियों के स्वर्ग में वीकेंड, दिल्ली से है सिर्फ 3 घंटे की दूरी

Keoladeo National park : इंदौर की सिरपुर झील और ओखला बर्ड सेंचुरी में पक्षी निहारने के बाद से ही मैं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर जाना चाहता था. यह देश का सबसे बड़ा पक्षी विहार है. आखिरकार 20 जुलाई को वीकेंड पर जाने का प्लान बना. ऐसे तो दुनिया भर के पक्षी प्रेमी केवलादेव प्रवासी पक्षी देखने आते हैं. जिसका समय अक्टूबर से शुरू होता है. लेकिन मैं इसे एक बार मानसून में देखना चाहता था. मेरा मानना रहा है कि जंगल में सिर्फ पक्षी या कोई जानवर देखने नहीं जाना चाहिए. जंगल अपने आप में एक खूबसूरत शय है. हर मौसम में जंगल की अपनी अलग छटा होती है.

मैंने भरतपुर के लिए सुबह-सुबह दिल्ली के सराय काले खां अंतरराज्यीय बस अड्डे से बस पकड़ ली. इस यात्रा में करीब पांच घंटे लगे. कहते हैं कि गंतव्य से सुंदर सफर होता है. गर्मी और उमस के बावजूद इस सफर का अनुभव भी कुछ ऐसा रहा. दिल्ली से बाहर निकलते ही खेतों में दूर-दूर तक फैली हरियाली ने मन को बांधे रखा.

ठहरने के लिए होम स्टे

भरतपुर में रुकने के लिए बर्ड सेंचुरी के करीब ही एक होम स्टे बुक कर लिया था. जिसका एक दिन का किराया 600 रुपये था. यह हरियाली से भरा हुआ और साफ-सुथरा था. यह बजट में घूमने के लिए रहने-खाने की किफायती जगह लगी.

दूसरा दिन

होम स्टे से बर्ड सेंचुरी की दूरी महज एक किलोमीटर ही थी. ऐसे में सुबह छह बजे वॉक करते हुए बर्ड सेंचुरी पहुंच गया. यहां 154 रुपये में टिकट, 150 रुपये में साइकिल ली और 800 रुपये में एक गाइड किया. जिनका नाम प्रकाश था. दोनों लोग एक-एक साइकिल पर सवार होकर निकल गए. उनके पास एक टेलीस्कोप और बाइनाकुलर था. उन्होंने इसके जरिए सुदूर बैठे कई पक्षी दिखाए.

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पक्षी विहार का शुरुआती हिस्सा झाड़ियों भरा है. लेकिन जैसे-जैसे भीतर पहुंचते गए, इसका रंग-रूप, गंध सम्मोहित करती गई. वेटलैंड का एरिया तो अद्भुत है. अभी पानी कम था, पक्षी भी थोड़े कम थे. लेकिन शांत पानी में सफेद बगुलों से लेकर कई तरह की बतखें और बिल स्टॉर्क दिखे.

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में किंगफिशर पक्षी. यूनेस्को के अनुसार, यह पक्षियों की 375 प्रजातियों का घर है.

चलते-चलते हम लोग जंगल में खो से गए. यहां जगह-जगह पक्षियों के नाम के बोर्ड लगे थे. जिसका मतलब था कि उस एरिया में वह पक्षी देखा जा सकता है. मेरे गाइड ने सारस दिखाने की ठानी. वह इसके लिए जंगल के काफी भीतर तक लेकर गए पर मेरी किस्मत ने साथ नहीं दिया. हालांकि इस दौरान हिरन, चील, चमगादड़ ओर मधुमक्खियां सहित काफी जीव-जंतु निहारने का सौभाग्य मिला.

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी के लिए नहरें बनाई गई हैं. ये जंगल को हरा-भरा रखती हैं.

जंगल के बीच शिव मंदिर 

आखिरकार हम लोग पहुंच गए जंगल के भीतर मौजूद केवलादेव महादेव मंदिर. यह एक काफी प्राचीन मंदिर है. कांवड़ यात्रा के बावजूद यहां बहुत कम शिव भक्त दिखे. दरअसल, नेशनल पार्क के भीतर होने की वजह कम लोग जाते हैं. मंदिर वाली इस जगह को पूरे जंगल का सेंटर प्वाइंट कहा जाता है. यहां एक बोर्ड पर यह भी लिखा हुआ है कि राजा-महाराजा और अंग्रेज अधिकारियों ने कितने बतख और जलमुर्गी का शिकार किया. यहां पता चला कि 1936 से 1943 तक भारत के वायसराय रहे लॉर्ड लिनलिथगो ने अपने शिकार दल के साथ यहां एक ही दिन में हजारों बत्तखों का शिकार किया था.

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में केवलादेव महादेव का प्राचीन मंदिर.

सम्मोहित कर देने वाली इस जगह से न चाहते हुए भी विदा लेना ही पड़ा. इस मौके पर मशहूर शायर इरफ़ान सिद्दीक़ी का शेर याद आ गया-

तुम परिंदों से ज़ियादा तो नहीं हो आज़ाद
शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो

दिल्ली से कैसे जाएं भरतपुर

बस से – सरकारी बस अंतरराज्यीय बस अड्‌डा, सराय काले खां से मिलती है. जिसका किराया 254 रुपये है.

ट्रेन से- भरतपुर के लिए निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से कई ट्रेन चलती है. जो करीब तीन घंटे में भरतपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचा देती हैं.

भरतपुर में और क्या-क्या घूमें

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लोहागढ़ किले के सामने गंगा मंदिर.

भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अलावा पास में लोहागढ़ का किला भी है. जिसमें महल, संग्रहालय और कई मंदिर हैं. जिसमें बांके बिहारी मंदिर और गंगा मंदिर प्रमुख हैं. बांके बिहारी मंदिर का निर्माण 1864 में किया गया था. इसमें भगवान कृष्ण के नंद गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है. गंगा मंदिर भी खास है. यह करीब 90 साल में बनकर तैयार हुआ है. बलुआ पत्थर से बने इस मंदिर का स्थापत्य बेहद खूबसूरत है.

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