धार्मिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है हत्तारसंग कुदाल, मानसून में जरूर बनाएं घूमने का प्लान

सोलापुर: सोलापुर जिले में कई ऐतिहासिक जगहें हैं. उनमें से एक सोलापुर जिले के दक्षिण सोलापुर तालुक में भीमा और सीना नदियों के संगम पर हत्तारसांग कुदाल है. यह स्थान विजयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर सोलापुर से 40 किमी दूर है. हत्तारसंग कुदाल बरूर फाट से दस किलोमीटर दूर बाईं ओर एक सांस्कृतिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. इसके बारे में अधिक जानकारी यहां मल्लिकार्जुन यामादे ने दी है.

धार्मिक पर्यटन स्थल हत्तारसंग कुदाल
हत्तारसंग कुदाल धार्मिक पर्यटन और प्रकृति पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है. इस स्थान पर दो प्राचीन मंदिर हैं जिनका नाम श्री संगमेश्वर मंदिर और हरिहरेश्वर मंदिर है. इसके अलावा हत्तारसंग कुदाल अपने बहुआयामी शिवलिंग, मराठी में मूल शिलालेख और अद्वितीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मूर्ति कार्य के लिए प्रसिद्ध है. धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ प्राकृतिक पर्यटन के लिए भी पर्यटक और श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते हैं.

चालुक्य काल में बना था श्री संगमेश्वर मंदिर
श्री संगमेश्वर मंदिर हत्तारसंग कुदाल में दो नदियों भीमा और सीना के संगम पर बना है. यह मंदिर चालुक्य काल का है और त्रिकूट या तीन गभार मंदिर है. गर्भगृह में एक शिव लिंग है और दाहिने गर्भगृह में मुरलीधर श्रीकृष्ण की प्रतिमा है. दोनों गर्भगृहों के बीच की जगह में देवकोष्ठ में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है. स्वर्ग मंडप की छत पर स्वर्गसुंदरी, गंधर्व, किन्नर, यक्ष, विद्याधर, भरभाकर तथा विभिन्न पशु-पक्षियों की अद्भुत एवं आकर्षक मूर्तियां हैं. स्वर्ग मंडप में ही कालभैरवनाथ रूप में शिव की भव्य मूर्ति है.

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