एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है। लेकिन बैरीसेंटर इससे अलग है। नासा के अनुसार, भले ही सूर्य का विशाल द्रव्यमान पृथ्वी को अपनी कक्षा में खींचता है, लेकिन न्यूटन के सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण के नियम (Newton’s law of universal gravitation) के अनुसार, यह आकर्षण दो-तरफा है। पृथ्वी भी अपने तरीके से सूर्य पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाती है।
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का खिंचाव सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के खिंचाव की तुलना में मामूली है, लेकिन यह बैरीसेंटर की पोजिशन चेंज करने के लिए काफी है। बैरीसेंटर आमतौर पर सूर्य के केंद्र के करीब होता है लेकिन शनि और बृहस्पति जैसे ग्रह उसे कभी-कभार सूर्य के दायरे से बाहर खींच सकते हैं।
नासा ने केप्लर के तीसरा नियम की भी बात की है, जो एक-दूसरे के चारों ओर घूमने वाली दो चीजों के द्रव्यमानों के बीच संबंध के बारे में बताता है। नासा के मुताबिक, एक पल के लिए सोचें कि एक छोटा तारा एक बड़े तारे के चारों ओर चक्कर लगा रहा हो। असल में वो एक द्रव्यमान केंद्र के चारों ओर घूमते हैं, जिसे बैरीसेंटर कहा जाता है।
नासा के अनुसार, सूर्य का द्रव्यमान हमारे सौर मंडल में सबसे ज्यादा है। इस वजह से बैरीसेंटर आमतौर पर सूर्य के केंद्र के बहुत करीब होता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह सूर्य के केंद्र के अंदर ही हो। बृहस्पति और शनि जैसे विशाल ग्रहों के असर से बैरीसेंटर को सूर्य के दायरे से बाहर लाया जा सकता है। रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल बैरीसेंटर सूर्य के बाहर है और इसलिए पृथ्वी की कक्षा सूर्य के चारों ओर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में एक बिंदु के चारों ओर है।