कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है, जब ताइवान लगातार अमेरिका से हथियार खरीद रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, MND को यह लगा कि जो हथियार उसने अमेरिका से खरीदे हैं, वह चीन के संभावित हमले से बचने में कम पड़ जाएंगे, इसलिए उसने ‘कामिकेज ड्रोन’ के प्रोडक्शन में इन्वेस्टमेंट का फैसला किया।
दरअसल, पिछले महीने ही अमेरिका के विदेश विभाग ने ताइवान को हथियार देने का ऐलान किया है। अमेरिका से ताइवान को 720 स्विचब्लेड 300 एंटी-पर्सनल और एंटी-आर्मर लोइटरिंग मिसाइल सिस्टम और 291 ड्रोन मिलने हैं। एएनआई ने सोर्स के हवाले से लिखा है कि चीनी खतरा जिस तरह से बढ़ा है, उससे यह निष्कर्ष निकला कि अमेरिका से मिल रहे हथियार कम पड़ जाएंगे।
यही वजह है कि ताइवान ने देश में डिजाइन किए गए टाइप-1 और टाइप-2 ड्रोन्स का बड़े स्केल पर प्रोडक्शन शुरू करने का फैसला किया। MND ने साल 2025 के बजट में इसके लिए पैसा रखने की योजना बनाई है। ताइवान की तैयारी है कि छोटे-छोटे बैचों में प्रोडक्शन किया जाए, जिससे बजट पर ज्यादा बोझ ना पड़े। यानी ताइवान साल-दर-साल इनका प्रोडक्शन करेगा।
ताइवान के चिएन ह्सियांग ड्रोन दुश्मन के रडार स्टेशनों और जहाज़ों पर लगे रडारों को खत्म करने की काबिलियत रखते हैं। 15 मिनट तक उड़ान भरने वाले ये ड्रोन 10 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज में अपने टार्गेट को हिट कर सकते हैं।
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