Pager क्या होते हैं?
पेजर एक छोटी और पोर्टेबल कम्युनिकेशन डिवाइस होती है, जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नलों की मदद से शॉर्ट मैसेज रिसीव और सेंड किए जा सकते हैं। ये मैसेज आमतौर पर न्यूमैरिक और अल्फान्यूमैरिक होते हैं। जब मोबाइल फोन्स पॉपुलर नहीं हुए थे, तब पेजर ही कम्युनिकेशन का अहम टूल हुआ करता था। डॉक्टरों से लेकर पत्रकारों के बीच यह लोकप्रिय था।
कैसे काम करते हैं पेजर?
जब बड़े पैमाने पर पेजरों का इस्तेमाल होता था, तब इनकी फंक्शनिंग आसान थी। रेडियो वेव्स की मदद से पेजर से मैसेज भेजा जाता है, जिसे रिसीव होता था, उसके पेजर में एक बीप सुनाई देती थी। साल 1949 में अमेरिकी आविष्कारक अल्फ्रेड ग्रॉस ने पहला पेजर पेटेंट कराया था। हालांकि पेजर वर्ड को सबसे पहले मोटोरोला ने साल 1959 में रजिस्डर्ड कराया।
मोटो ने अपना पहला पेजर, पेजबॉय 1 (Pageboy 1) के नाम से 1964 में बनाया था। समय के साथ ये भी इम्प्रूव हुए और 80 के दशक में छोटी स्क्रीन से लैस पेजर आने लगे थे, जिसमें डिवाइस पर ही मैसेज देखा जा सकता था। रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1994 में दुनिया भर में 6 करोड़ पेजर चलन में थे। 90 के दशक में मोबाइल फोन्स के आने से पेजर धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगे। हालांकि आज भी इनका इस्तेमाल हो रहा है।
हिज्बुल्लाह के कारण पेजर सुर्खियों में
लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के पेजरों को टार्गेट किया गया है, जिसके ये डिवाइस चर्चा में आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल की ट्रैंकिंग से बचने के लिए हिज्बुल्लाह के लड़ाके पेजरों का इस्तेमाल करते हैं। कहा जा रहा है कि इस्राइल की मोसाद ने करीब 5 हजार पेजरों में विस्फोटक लगा दिया था, जिन्हें कुछ महीनों पहले हिज्बुल्लाह ने ऑर्डर किया था।