Earth had rings like Saturn 46.6 crore years ago scientists found evidence

हमारे सौरमंडल में जितने भी ग्रह मौजूद हैं, उनमें शनि (Saturn) सबसे अलग नजर आता है। शनि ग्रह को खास बनाती हैं इसके चारों ओर मौजूद रिंग्‍स (Saturn rings) यानी छल्‍ले। वैज्ञानिकों को लगता है कि पृथ्‍वी पर भी कभी ऐसा ही कुछ रहा होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले हफ्ते अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में एक पेपर पब्लिश हुआ है। उसमें वैज्ञानिकों ने सबूत पेश किए हैं कि पृथ्‍वी पर भी एक रिंग मौजूद थी। हालांकि इस बात को करोड़ों साल बीत गए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्‍वी के चारों ओर रिंग करीब 46.6 करोड़ साल पहले बनी। वह कुछ करोड़ साल तक वजूद में रही। 

खबर पर आगे बढ़ें, उससे पहले समझना चाहिए कि रिंग कैसे बनती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जब कोई छोटी बॉडी जैसे एस्‍टरॉयड किसी बड़ी बॉडी यानी ग्रह के पास से गुजरता है, तो वह गुरुत्‍वाकर्षण के कारण ग्रह के खिंचाव में आ जाता है। काफी करीब आने के बाद वह छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। इसी तरह से एस्‍टरॉयड्स के टुकड़े ग्रह के चारों तरफ मलबे के छल्‍ले में बदल जाते हैं। 

वक्‍त के साथ यह मलबा ग्रह पर गिरता है उसकी वजह से क्रेटरों का निर्माण होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 46.6 करोड़ साल पहले बहुत सारे एस्‍टरॉयड हमारे ग्रह से टकराए। उसकी वजह से पृथ्‍वी पर कई क्रेटरों का निर्माण हुआ। 

खास यह है कि सिर्फ शनि ग्रह के पास ही रिंग्‍स नहीं हैं। बृहस्‍पति, नेप्‍च्‍युन और यूरेनस के पास भी रिंग्‍स मानी जाती हैं, जो बहुत ज्‍यादा साफ नहीं हैं। वैज्ञानिकों को यह भी लगता है कि मंगल ग्रह के छोटे चंद्रमा जैसे- फोबोस और डेमोस उसकी किसी पुरानी रिंग का हिस्‍सा हो सकते हैं। 

वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्‍वी पर मौजूद रिंग उसके इक्‍वेटर के चारों ओर रही होगी। ऐसा इसलिए क्‍योंकि पृथ्‍वी पर ऐसे 21 गड्ढों का पता चला है, जिनका निर्माण एस्‍टरॉयड की टक्‍कर के कारण हुआ। ये सभी उन महाद्वीपों पर हैं, जो 46.6 करोड़ साल पहले इक्‍वेटर के करीब थे। 

हालांकि वैज्ञानिकों को इस स्‍टडी पर अभी काफी काम करना है। यह भी पता लगाना है कि 46.6 करोड़ साल पहले पृथ्‍वी पर बहुत ज्‍यादा ठंड हो गई थी। यह पृथ्‍वी पर मौजूद रिंग उस ठंड के लिए जिम्‍मेदार थी। वैज्ञानिक अब ऐसे मैथमैटिकल मॉडल तैयार करना चाहते हैं, जो एस्‍टरॉयड के टूटने और फैलने के बारे में बताए। इससे पता चलेगा कि किसी रिंग के कारण ग्रह पर कितनी ठंडक हो सकती है।
 

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