Digital Arrest Scam
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी ठगी है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अफसर बताकर पेश करते हैं। लोगों से वीडियो कॉल में जुड़ते हैं और उन्हें अपने भरोसे में लेकर पैसों की डिमांड पूरी करने को कहते हैं। पीड़ित को इस तरह से जाल में फंसाया जाता है कि वह मजबूरन पैसे देने को राजी हो जाता है।
ये तरीके किए जाते हैं इस्तेमाल
- पीड़ित से कहा जाता है कि उसका नाम नशीले पदार्थों की तस्करी में सामने आया है। कॉल करने वाला धोखेबाज खुद को सरकारी अफसर बताता है। पीड़ित को भरोसा दिलाया जाता है कि पैसे देने के बाद वह जेल जाने से बच जाएगा।
- पीड़ित को बताया जाता है कि उसका कोई करीबी मुसीबत में है। उदाहरण के लिए पैरंट्स से कहा जाता है कि उनका बच्चा पुलिस केस में फंस गया है। धोखेबाज पीड़ितों से पैसे हड़पते हैं। पैरंट्स बिना इन्क्वायरी करे पैसे दे भी देते हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ज्यादातर मामलों में साइबर अपराधी पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों को कॉल कर रहे हैं। पीड़ितों से कहा जाता है कि उनके खिलाफ शिकायत मिली है। कार्रवाई से बचने के लिए पैसों की डिमांड की जाती है। इस ठगी का शिकार पढ़े-लिखे लोग हो रहे हैं। कई मामलों में आईटी कंपनी के पेशवर, इंजीनियरों के साथ ठगी की गई है।
दिल्ली-एनसीआर से एक मामला सामने आया था, जिसमें एक महिला डॉक्टर से साइबर ठगों ने ट्राई का अफसर बनकर बात की। पीड़ित से कहा कि उनका मोबाइल नंबर अवैध कंटेंट डिस्ट्रीब्यूट कर रहा है। महिला डॉक्टर को जब तक ठगी का एहसास हो पाता, वह 60 लाख रुपये आरोपियों को ट्रांसफर कर चुकी थीं।
टेक्नॉलजी की मदद ले रहे ठग
डिजिटल अरेस्ट स्कैम को अंजाम देने के लिए ठग टेक्नॉलजी की मदद ले रहे हैं। वो फेक दफ्तर, पुलिस स्टेशन बना रहे हैं। सरकारी अफसरों जैसे कपड़े पहन रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। पीड़ितों को कई घंटे वीडियो कॉल में फंसाकर रखा जाता है।
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