पटना. क्रिकेट के मैदान पर आपने तेज गेंदबाजों की रफ्तार और बल्लेबाजों की शानदार स्ट्रोक खेलते हुए देखा होगा, लेकिन पटना के मोइनउल हक स्टेडियम में इन दिनों एक नया खेल चल रहा है. “पिच कैसे सुखाएं?” बिहार और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी का मुकाबला अब पिच सुखाने की ‘देसी तकनीक’ की वजह से चर्चा का विषय बन गया है.
इस बार स्टेडियम में पिच को सूखा रखने के लिए आधुनिक तकनीक को छोड़, हमारे अपने देसी गोइठे (उपले) का सहारा लिया गया. नतीजा, क्रिकेट के मैदान पर ऐसा नजारा देखने को मिला जो पहले शायद ही कभी देखा गया हो.
‘गोइठा’ की गर्माहट से पिच सुखाने का प्रयास
शनिवार की रात हल्की बारिश ने पूरे मैदान को गीला कर दिया, जिससे संडे को खेल शुरू करना मुश्किल हो गया. लेकिन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) ने हार नहीं मानी और मैदान को सुखाने के लिए एक अनोखा देसी तरीका अपनाया. ट्रे में गोइठा जलाकर पिच को सूखाने का प्रयास किया गया.
इसी गोइठे पर बिहार की स्पेशल लिट्टी चोखा पकाई जाती है लेकिन इस बार गोइठे की आग मैदान की नमी दूर नहीं की गई. नतीजन एक भी गेंद फेंका नहीं गया. खिलाड़ी भी मस्त मौसम का आनंद उठाते रहें.
हेलीकॉप्टर से लेकर गोइठे तक: बिहार की क्रिएटिविटी की कहानी
यह पहली बार नहीं है कि इस स्टेडियम में पिच सूखाने का अनोखा प्रयोग किया गया हो. लोगों को याद है 1996 का वह वर्ल्ड कप, जब जिम्बाब्वे और केन्या के बीच मैच के पहले भारी बारिश हो गई थी. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कुछ ऐसा किया जो शायद आज भी लोगों को हंसी के साथ गर्व से याद आता है.
उन्होंने मैदान सुखाने के लिए स्टेडियम के ऊपर हेलीकॉप्टर से चक्कर कटवाए थे. अब उसी स्टेडियम में इस बार पिच को सूखाने के लिए गोइठे जलाने का नया नजारा देखने को मिला, जो अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड बन गया.
‘बिहार में जुगाड़ तकनीक का जलवा’
क्रिकेट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बारिश से प्रभावित स्टेडियमों में आमतौर पर सुपर सॉपर रोलर, सबएयर ड्रेनेज सिस्टम, और फायर स्टीम हीटर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मैदान को जल्दी सुखाया जा सके. लेकिन पटना के मोइन उल हक स्टेडियम ने एक नया मानक स्थापित कर दिया है. यहां पर ‘जुगाड़ तकनीक’ को गंभीरता से अपनाया जा रहा है. पहले हेलीकॉप्टर और अब गोइठा.
बीसीए के मीडिया मैनेजर संतोष झा ने बताया कि मोइनुल हक का जीणोद्धार होना है. उपकरणों की खरीद भी हो रही है. फिलहाल हमने सुपर सकर मशीन, आग की थाली और ब्वायलर का इस्तेमाल किया. इसके बावजूद मैदान का एक भाग गीला रह गया. इसी के चलते दूसरे दिन का खेल न होने का निर्णय लिया गया.
इस घटना ने एक बात तो साफ कर दी है कि बिहार क्रिकेट में जुनून और क्रिएटिविटी की कमी नहीं है. अगर अत्याधुनिक ड्रेनेज सिस्टम काम नहीं करे, तो बिहार अपने ‘जुगाड़’ के सहारे मैदान पर कोई न कोई हल जरूर ढूंढ ही लेता है. हेलीकॉप्टर से लेकर गोइठा तक, यह कहानी बताती है कि बिहार क्रिकेट में हर मैच सिर्फ खेल नहीं, एक अनुभव है.
Tags: Bihar News, Local18, PATNA NEWS, Ranji Trophy
FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 09:39 IST