बेंगलुरु टेस्ट में बारिश के दौरान 37 साल पुराने वीडियो पर चर्चा .. गावस्कर की पुरानी पारी आज भी विराट रोहित पर पड़ती है भारी

राजीव मिश्रा. भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला बेंगलुरु में खेला जा रहा है. यह वही मैदान है जहां 37 साल पहले एक ऐसी पारी खेली गई जिसका वीडियो देखकर विराट और रोहित जैसे दिग्गज भी जोश से भर जाते हैं. बल्लेबाजी ऐसी जिसे देख दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाएंगे. सुनील गावस्कर की 1987 में खेली गई एक ऐसा पारी जिसे आज भी एक मास्टर क्लास की तरह देखा जाता है.

70- 80 के दशक में जब तेज गेंदबाज़ों का बोलबाला हुआ करता था. 1987 में एक ऐसा टेस्ट मैच खेला गया जहां गेंद की रफ़्तार की चर्चा नहीं स्पिन की धार सुर्ख़ियों में रही. बेंगलुरु टेस्ट से पहले सुनील गावस्कर को तेज गेंदबाजी के खिलाफ सबसे बड़ा बल्लेबाज़ माना जाता था पर जिस तरह की बल्लेबाज़ी लिटिल मास्टर ने चिन्नास्वामी की घूमती पिच पर किया उससे उनको सर्वगुण संपन्न बल्लेबाज माना जाने लगा.

1987 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा दोनों देशों के बीच सबसे चर्चित टेस्ट सीरीज में से एक था. पहले चार टेस्ट मैच ड्रॉ रहे और जब टीमें पांचवें टेस्ट के लिए एम चिन्नास्वामी स्टेडियम पहुंची तो व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही थी कि यह भी ड्रॉ होगा. पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी की और टीम 116 रन पर ढेर हो गई. चिन्नास्वामी का विकेट पूरी तरह से टर्न करने वाला निकला. मनिंदर सिंह की घूमती गेंदो के सामने पाकिस्तान ढेर हो गई. मनिंदर ने 27 रन देकर 7 विकेट हासिल किए.

पाकिस्तानी बल्लेबाजी लाइन-अप को आउट करने में उन्हें सिर्फ 19 ओवर लगे. जब भारत ने बल्लेबाजी की तो दो पाकिस्तानी स्पिनर इकबाल कासिम और तौसीफ अहमद ने भारत को भी ढेर कर दिया. भारतीय टीम 145 रन पर ऑल आउट हो गई अपनी दूसरी पारी में पाकिस्तान ने बेहतर बल्लेबाजी की और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक ले गए.

जब सुनील गावस्कर ने अपनी दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी शुरू की तब तक चिन्नास्वामी स्टेडियम का विकेट खेलने लायक नहीं रह गया था. पाकिस्तानी स्पिनर तौसीफ अहमद और इकबाल कासिम गेंद को स्कवायर ट्रेन करा रहे थे. इससे भी बदतर बात यह थी कि विकेट में जबरदस्त उछाल भी था. तौसीफ की एक गेंद इतनी ऊंची उठी कि गावस्कर को उसे ऐसे छोड़ना पड़ा जैसे कि वह किसी तेज गेंदबाज की बाउंसर हो.

इसके बाद गावस्कर ने एक बेहतरीन ऑन-ड्राइव मारा लेकिन दर्शकों को उनके शॉट खेलने के बाद विकेट पर धूल का गुबार देखने को मिला. महान पाकिस्तानी कमेंटेटर चिश्ती मुजाहिद ने टिप्पणी की कि शायद दुनिया में कोई दूसरा बल्लेबाज नहीं है जो प्रतिकूल विकेट पर उस स्ट्रोक को बेहतर तरीके से खेल सकता हो. तब तक हर गेंद संभावित विकेट लेने वाली गेंद बन गई थी, लेकिन गावस्कर के लिए ऐसा नहीं था.

दूसरी पारी में गावस्कर की लाजवाब पारी

जब सुनील ने अपनी दूसरी पारी शुरू की, तब तक चिन्नास्वामी स्टेडियम का विकेट खेलने लायक नहीं रह गया था. पाकिस्तानी स्पिनर तौसीफ अहमद और इकबाल कासिम गेंद को चौकोर घुमा रहे थे. इससे भी बदतर बात यह थी कि विकेट में जबरदस्त उछाल भी था. तौसीफ की एक गेंद इतनी ऊंची उठी कि गावस्कर को उसे ऐसे छोड़ना पड़ा जैसे कि वह किसी तेज गेंदबाज की बाउंसर हो.

एक अन्य अवसर पर, गावस्कर ने एक बेहतरीन ऑन-ड्राइव मारा, लेकिन हम दर्शकों को उनके शॉट खेलने के बाद विकेट पर धूल का गुबार देखने को मिला. महान पाकिस्तानी कमेंटेटर चिश्ती मुजाहिद ने टिप्पणी की कि शायद दुनिया में कोई दूसरा बल्लेबाज नहीं है जो प्रतिकूल विकेट पर उस स्ट्रोक को बेहतर तरीके से खेल सकता हो. तब तक हर गेंद संभावित विकेट लेने वाली गेंद बन गई थी, लेकिन गावस्कर के लिए ऐसा नहीं था.

हर बॉल पर पाकिस्तानी कर रहे थे अपील

जब गावस्कर 75 रन पर पहुंचे, तब भारत ने 147 रन पर अपनी आधी टीम खो दी थी और सुनील ने अपनी टीम के कुल स्कोर का आधा हिस्सा बना लिया था. मास्टर बल्लेबाज ने पिच का इतनी जल्दी और सही तरीके से आकलन किया था कि उन्हें पता था कि विकेट के पीछे देर से शॉट खेलना उपयोगी होगा, बजाय इसके कि वे आगे ड्राइव करें. इमरान खान के पास खेलने के लिए ज्यादा रन नहीं थे. गावस्कर ने एक असंभव विकेट पर ड्राइव किया, जिसने खान को स्लिप हटाने और मिडफील्ड को मजबूत करने के लिए मजबूर किया.

जैसे ही स्लिप चली गई, गावस्कर ने तौसीफ को थर्ड मैन पर लेट-कट करना शुरू कर दिया और भारत के लिए कीमती रन जुटाए. एक अचूक विकेट पर मिडिल शॉट खेलने में सक्षम होने के लिए उस स्तर की बल्लेबाज़ी की ज़रूरत थी जो केवल गावस्कर ही कर सकते थे. जब वे 90 के दशक में पहुंचे, तो वे अकेले ही भारतीय धरती पर पाकिस्तान के लिए पहली सीरीज़ जीत के बीच खड़े थे. सुनील 96 पर पहुंच गए और जब भारतीय दर्शक उनके शतक का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, तो उन्हें इकबाल कासिम की एक गेंद मिली जो न केवल घूमी बल्कि उनके दस्ताने में जाकर अविश्वसनीय रूप से उछली – बाकी का काम स्लिप ने किया. गावस्कर आउट हो गये.

भारत टेस्ट मैच हार गया पर लिटिल मास्टर की पारी एक सबक थी कि कैसे एक ऐसे विकेट पर बल्लेबाजी की जाए जो लगातार टर्न ले रहा हो और उछल रहा हो. गावस्कर ने वैसे तो कई बेमिसाल पारियां खेली है पर बैंगलुरु में खेली गई इस पारी के वो खुद हमेशा बड़ा दर्जा देते है.

Tags: India vs new zealand, Sunil gavaskar

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