मानसून में इन 5 तरह की बीमारियों के होने का बढ़ जाता है खतरा, डॉक्टर के बताए इन उपायों से बच सकती है आपकी जान

मानसून के कारण कई राज्यों में बाढ़ आने से लोगों की जिंदगी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. बारिश का पानी जगह-जगह भर जाने से कई तरह के जल जनित रोगों, इंफेक्शन आदि के होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है. बेशक आप तपती गर्मी से राहत पा लेते हैं, लेकिन मानसून में कई अन्य बीमारियों से बच्चे, बूढ़ों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है. इन तमाम समस्याओं, इंफेक्शन के बढ़ने की मुख्य वजह इस समय जलवायु का अनुकूल होना भी है. फोर्टिस हॉस्पिटल, मुलुंड, मुंबई में डायरेक्टर-जनरल मेडिसिन, डॉ. अनीता मैथ्यू से जानते हैं मानसून में किन रोगों और कॉमन इंफेक्शन के बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है और उनसे बचाव के उपाय क्या हैं.

मलेरिया
सबसे अधिक मच्छर जनित रोग मलेरिया के होने का रिस्क बारिश के मौसम में बढ़ जाता है. मच्‍छर के काटने पर इंसान के खून में पैरासाइट प्लाज्मोडियम पहुंच जाता है. मलेरिया के दो कॉमन रूप हैं- विवैक्स और फाल्सीपेरम. कई बार मलेरिया संक्रमण इतना गंभीर हो जाता है कि इससे पीड़ित व्यक्ति की मौत तक हो जाती है. इसके लक्षणों में ठंड लगना, कंपकंपी के साथ बुखार, सिरदर्द आदि शामिल हैं. आमतौर पर इसका बुखार निश्चित समय पर आता है, जिसमें रोगी बुखार चढ़ने के बीच ठीक रहता है. मच्छर के काटने से बचने के उपाय:

-पूरी बांह वाले और लम्बे कपड़े पहनें.
-फॉगिंग कराएं और आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखें.
– मच्छरों के प्रजनन स्थलों से बचने के लिए पानी का जमाव न होने दें.

डेंगू
डेंगू भी बारिश के मौसम में लोगों को अधिक होता है. यह भी एक मच्छर-जनित संक्रमण है, जो एडिस मच्छरों के काटने से होता है. रात में सक्रिय रहने वाले एनाफेलीज मच्छरों के विपरीत एडिस मच्छर दिन के समय सक्रिय रहते हैं. डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड, सिरदर्द, बदन दर्द आदि शामिल हैं. डेंगू से ग्रस्त व्यक्ति के खून में प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाते हैं. डिहाइड्रेशन भी हो सकता है, जिसके कारण कई गंभीर समस्याएं शुरू हो सकती हैं. बुखार लगातार बना रहता है. डेंगू के मच्छर ठहरे हुए ताजे पानी में अधिक पनपते हैं, इसलिए पानी रखने वाले बर्तनों को ढंक कर रखें. समय-समय पर कूलर, बर्तनों में रखे पानी की सफाई करते रहें.

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लेप्टोस्पाईरोसिस
डॉ. अनीता मैथ्यू कहती हैं कि लेप्टोस्पाईरोसिस एक बैक्टीरिया-जनित संक्रमण है. यह मुख्य रूप से जल-जमाव के दौरान लम्बे समय तक गंदे पानी, मिट्टी के संपर्क में रहने के कारण होता है. पानी में बैक्टीरिया के कारण गंदगी पैदा होती है, जो अक्सर चूहों, गिलहरियों या कुत्तों के मलोत्सर्ग से उत्पन्न होती है. इस संक्रमण में तेज सिरदर्द, उल्टी, रक्तस्राव की प्रवृत्ति, पेशाब में कमी और ज्यादा गंभीर मामलों में पीलिया हो जाता है. निम्नलिखित उपायों से इस संक्रमण को रोका जा सकता है :

– गंदे पानी में चलने से बचें.
– पैरों को पूरी तरह ढंकने वाले बूट या जूते पहनें.
– गंदे पानी के संपर्क में आने पर पैरों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं.
– इलाज और निवारक दवाओं के लिए डॉक्टर से जरूर मिलें.

श्वसन संबंधित संक्रमण
बारिश के मौसम में वातावरण में उमस काफी बढ़ जाती है. वायरस-जनित फ्लू और श्वसन संबंधित अन्य संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है. बुखार, सिरदर्द, सर्दी, खांसी आदि इसके सामान्य लक्षण हैं. एलर्जी और दमा से ग्रस्त लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि इनमें ये अधिक समस्या पैदा कर सकता है. इसकी रोकथाम के उपाय निम्न हैं:

– भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
– चेहरे पर ठीक से मास्क पहनें.
– हाथ धोएं और सैनिटाइज करते रहें.
– साल में एक बार फ्लू का टीका लें. इससे संक्रमण में कमी आती है.

गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल (पेट और आंतों का) इंफेक्शन
बारिश के मौसम में अधिकतर लोगों में पेट और आंतों में इंफेक्शन हो जाता है. कई बार बाहर का अनहाइजीनिक फूड खाने से भी इंफेक्शन हो जाता है. ऐसे में उल्टी, डायरिया, पीलिया हो सकता है, जो संक्रमण के कारणों पर निर्भर करता है. यह संक्रमण गंदे, अनहाइजीनिक, दूषित भोजन, पानी और मक्खियों के कारण हो सकता है. यह उन वायरसों के कारण भी हो सकता है, जिनसे हेपेटाइटिस ए और ई जैसा पीलिया होता है. यह संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया में ई.कोलाई और टाइफाइड जैसे अन्य बैक्टीरिया आम हैं. गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल इंफेक्शन के रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपना सकते हैं:

– रोड साइड ठेले पर बिकने वाली चीजों को खाने से परहेज करें.
– पानी उबाल कर ही पिएं.
– भोजन करने से पहले हाथों को अच्‍छे से साफ करें.
– घर में भोजन को ढंक कर रखें.
– आस-पास के क्षेत्र में सफाई रखें. इनसे संक्रमण की आशंका कम हो जाती है.

Tags: Dengue fever, Eat healthy, Health, Lifestyle, Rainy Season

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