What happen if someone eat human flesh: मुंबई का एक व्यक्ति उस समय सदमे में आ गया जब उसके मुंह में आईस्क्रीम के साथ इंसान के मृत शरीर की उंगली मुंह में चली गई. उस व्यक्ति को इस तरह सदमा लगा कि दो-तीन दिनों तक उसने मुंह में कुछ लिया तक नहीं. हालांकि वह अब तक स्वस्थ है और पुलिस इस बात की पता लगा रही है कि आखिर यह उगली आइस्क्रीम में आई कैसे. लेकिन सवाल यह है कि अगर कोई इंसान गलती से या वैसे भी मृत व्यक्ति के मांस को खा लें तो उसके शरीर पर क्या असर होगा. क्या इससे मांस खाने वाले व्यक्ति को कोई बीमारी हो जाएगी. कुछ लोगों का मानना है कि अगर मृत व्यक्ति को कोई बीमारी होगी तो उसके मांस को खाने वाले को भी यह बीमारी हो जाएगी. इस बात में कितनी सच्चाई है. इन सारी बातों का पड़ताल करने के लिए न्यूज 18 ने सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली की सीनियर फिजिशियन डॉ. एम वली से बात की.
मानव मांस खाने से शरीर पर असर
डॉ. एम वली ने बताया कि ऐसे मामले बहुत ही रेयर आते हैं. इसके कई पक्ष है. अगर कोई व्यक्ति गलती से मानव मांस खा ले और अगर उसे पता चल जाए तो सबसे पहले उसे घिन आने लगेगा. मनोवैज्ञानिक परेशानियां होगी. उसे गिल्ट फील होगा. वह कुछ दिनों तक भारी मनोवैज्ञानिक परेशानियों से गुजरेगा. अब जहां तक बात है शरीर पर इसका क्या असर होगा तो मोटे तौर पर देखा जाए तो मानव मांस भी पेट में जाकर पच जाएगा. खाने वाले को कोई खास परेशानी नहीं होगी. अगर होगी तो पेट से संबंधित परेशानियां होगी. जैसे कि जी मितलाना, उल्टी आना, डायरिया आदि. लेकिन जिस व्यक्ति का मांस खाया गया है अगर उसे पहले से टीबी की बीमारी है, एड्स है, सिफलिस है, हेपटाइटिस आदि बीमारी है तो ये बीमारियां खाने वालों को लग सकती है. आमतौर पर यदि मृत व्यक्ति को इंफेक्शन से संबंधित कोई गंभीर बीमारी है तो वह उसके मांस को खाने वाले को लग सकती है. लेकिन ऐसा विरले ही संभव है क्योंकि कोई भी आदतन मानव मांस नहीं खाता, गलती से ही खाता. हालांकि इतिहास में कुछ ऐसी जगहें हैं जहां मानव मांस को खाया जाता था. निठारी कांड में ऐसा हुआ है. युगांडा के राष्ट्रपति ईदी अमीन को नरमांस खाने वाला बताया जाता था. लेकिन पापुआ न्यू गिनी की कहानी जबरदस्त है.
पापुआ न्यू गिनी में लोग आदतन मांस खाते थे, फिर उसका क्या
बात 1930 के आसपास की है. इससे पहले प्रशांत महासागरीय देश पापुआ न्यू गिनी के एक पहाड़ की कहानी किसी को पता नहीं थी. जब ऑस्ट्रियाई ने सोने की खोज में अपना पैर फैलाया तो इस पहाड़ की खोज की. 1950 के आसपास जंगल और पहाड़ के उपर कई गांवों का पता चला जहां करीब 11 हजार लोग रहते थे. ठीक इसी समय पाया गया कि 200 लोग एक ही तरह की बीमारी से मर गए. कई सालों तक इसे लेकर रिसर्च चली. 1960 के आसपास रिसर्च में पाया गया कि इन लोगों को मृत व्यक्ति का मांस खाने की आदत थी. इससे इन लोगों को कुरू kuru नाम की बीमारी हो गई. दरअसल, इन आदिवासी लोगों की एक परंपरा थी. इस परंपरा के अनुसार जब इनके निकट संबंधी मर जाते थे, तो वे इसके मांस को खा लेते थे. डॉ. वली ने कहा यह बीमारी तब होती है जब कोई व्यक्ति रेगुलर मानव मांस का सेवन करता है. आमतौर पर दुनिया में ऐस विरले ही होते हैं.
क्या होती है कुरू की बीमारी
कुरू बीमारी ट्रांसमिसेबल स्पोंजीफॉर्म इंसेफेलोपेथी है. इसमें धीरे-धीरे नसें काम करना बंद कर देती है. शुरुआत में हाथ-पैर कांपने लगते हैं और धीरे-धीरे इन अंगों पर संतुलन करना मुश्किल हो जाता है. हालांकि यह बीमारी 10-13 साल तक दबी हुई अवस्था में रहती है. सिर दर्द, ज्वाइंट पेन, हाथ-पैर हिलना, मसल्स से कंट्रोल बाहर होना इसके लक्षण है.
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FIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 15:47 IST