इंदौर में बनेगी 18 प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां, रोगों पर नियंत्रण की ओर कदम बढ़ा रहा आयुर्वेदिक कालेज

इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. COVID-19 महामारी के बाद से आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रति लोगों का रुझान काफी बढ़ा है. इसी दिशा में इंदौर के अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज ने एक कदम और बढ़ाया है, जो अब 18 प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण कर रहा है. ये औषधियां विभिन्न रोगों का इलाज करने में सहायक सिद्ध होंगी और इसका उद्देश्य समाज में प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.

भोपाल से प्राप्त हुआ औषधि निर्माण लाइसेंस
अष्टांग आयुर्वेद कालेज की मिनी फार्मेसी को भोपाल स्थित ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी से 18 औषधियों के निर्माण का लाइसेंस प्राप्त हुआ है. इस फार्मेसी में तैयार की जा रही औषधियां कई सामान्य और गंभीर रोगों के उपचार में उपयोगी साबित हो रही हैं. इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को और अधिक प्रचलित करना और लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति प्रेरित करना है.

रोगों के उपचार के लिए तैयार हो रही हैं विशेष औषधियां
इस मिनी फार्मेसी में प्रमेह (मूत्र रोग) और त्वचा रोगों के उपचार के लिए त्रिफला और त्रिकटु जैसी औषधियां बनाई जा रही हैं. अस्थि रोगों के इलाज के लिए त्रिफला गुग्गुल, कैशोर गुग्गुल और त्रयोदशांग गुग्गुल जैसी आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जा रही हैं. इसके अलावा, श्वास रोगों के उपचार के लिए सितोपलादि चूर्ण और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए वैश्वानर चूर्ण एवं हिंग्वाष्टक चूर्ण का निर्माण भी किया जा रहा है.

औषधियों के निर्माण में पारंपरिक और आधुनिक विज्ञान का मेल
अष्टांग आयुर्वेद कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अखिलेश भार्गव ने बताया कि इन औषधियों के निर्माण में पारंपरिक आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के मिश्रण का उपयोग किया जा रहा है, जिससे इनकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता में कोई कमी न हो. त्वचा रोगों के उपचार के लिए गंधकाच मल्हर और पित्त रोगों से राहत दिलाने के लिए अविपत्तिकर चूर्ण भी तैयार किया गया है. इसके अलावा, क्षीरबला तेल जैसे औषधीय तेलों का निर्माण भी हो रहा है, जिसका उपयोग मसाज के लिए किया जा सकता है. इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में च्यवनप्राश का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.

रोगों की रोकथाम में सहायक औषधियां
डॉ. भार्गव के अनुसार, इन आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग केवल उपचार के लिए ही नहीं, बल्कि रोगों की रोकथाम के लिए भी किया जा रहा है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में भी आयुर्वेदिक उपचार का चलन बढ़ रहा है क्योंकि इसके साइड इफेक्ट्स नगण्य होते हैं. पंचकर्म जैसी आयुर्वेदिक पद्धतियां और औषधियां कैंसर के इलाज में मददगार साबित हो रही हैं. इसके अलावा, थायराइड, शुगर और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के उपचार में भी आयुर्वेदिक औषधियों का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है.

आयुर्वेद का बढ़ता कारोबार
प्रदेशभर में वर्तमान में करीब एक हजार आयुर्वेदिक दवा निर्माण इकाइयां कार्यरत हैं, और आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार हर वर्ष 20 प्रतिशत बढ़ रहा है. इस क्षेत्र में लोगों का विश्वास दिनोंदिन मजबूत हो रहा है. आयुर्वेदिक उपचार, बिना साइड इफेक्ट्स के रोगों का इलाज करने में सक्षम है, यही कारण है कि यह उपचार पद्धति हर आयु वर्ग के लोगों में लोकप्रिय हो रही है.

Tags: Health, Indore news, Local18

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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