छतरपुर: मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक ऐसी घास पाई जाती है, जिसे इंसान भी खा सकते हैं. यही नहीं, इस घास को खाने से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. खासकर बच्चों की बीमारियों में ये घास रामबाण मानी गई है. छतरपुर के स्थानीय लोग इसे दूधी घास कहते हैं. नाम से ही साफ है कि इस घास से दूध भी निकलता है.
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. आरसी द्विवेदी ने लोकल 18 को बताया कि इस घास में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. आयुर्वेद में इसका खास महत्व है. हालांकि, इसका सेवन सीधे नहीं करना चाहिए. इसे जमीन से काटकर पहले छाए में पहले सुखाना चाहिए. दूधी घास की दो प्रजातियां हैं, एक लघु, दूसरी बड़ी दूधी घास.
इन रोगों में इस्तेमाल
आगे बताया कि घास को सुखाकर चूर्ण बनाकर 1 से 3 ग्राम तक सेवन करना होता है. इस घास को अस्थमा प्लांट भी कहते हैं. इससे अस्थमा के रोगी को काफी फायदा मिलता है. इसके अलावा अतिसार के रोगी को भी आंतों में रक्तस्राव रोकने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है. डायबिटीज मरीज भी इसका उपयोग कर सकते हैं.
बच्चों के लिए उपयोगी
दूधी घास के पत्तों को सुखाकर इसके 1 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ देने पर बच्चों के पेट में कीड़े मर जाते हैं. बच्चों के अतिसार (दस्त) रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. 2 ग्राम दूधी की जड़ को पान में रखकर चूसने से बच्चों का हकलाना बंद हो सकता है.
नक्सीर फूटना होगा बंद
डॉक्टर ने बताया कि बचपन में बहुत से बच्चों में नक्सीर फूटने यानी नाक से खून निकलने की दिक्कत सामने आती है. ऐसी स्थिति में दूधी घास के पत्तों का चूर्ण बनाकर मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से ये दिक्कत कम हो जाती है. हालांकि, इसके पाउडर का कितनी मात्रा में उपयोग करना चाहिए. यह आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से पूछ कर ही करें.
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FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 13:52 IST
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