Ayurvedic Method of Cooking Rice: चाहे प्राचीन ग्रंथों की बात कर ले या फिर आज के किसी यूट्यूब के फूड चैनल की, चावल एक ऐसा अनाज है जिसे भारत में सदियों से खाया जाता रहा है. देश के कुछ राज्यों में तो चावल ही प्रमुख अनाज के तौर पर खाया जाता है. लेकिन अक्सर चावलों को लेकर ये चिंता भी जताई जाती है कि इससे वजन बढ़ता है, डायबेटिक पेशंट्स को ये नहीं खाना चाहिए… वगैरह-वगैरह. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में चावल को पकाने की कुछ ऐसी विधियां बताई गई हैं, जो इस चावल के पूरे पोषण को हम तक पहुंचा देती हैं. चावला का जिक्र आते ही white rice vs brown rice की बहस भी शुरू हो जाती है, क्योंकि अक्सर ब्राउन राइज को ज्यादा ‘हेल्दी’ माना जाता है. लेकिन क्या सच में ये उतना हेल्दी है. इन सब सवालों का जवाब जानिए आयुर्वेदिक डॉक्टर रुपाली जैन से.
आयुर्वेदिक डॉक्टर रुपाली जैन बताती हैं कि वाग्भट ऋषि अपने आयुर्वेदिक ग्रंथ अष्टांगह्रदय में चावल के बारे में विस्तार से वर्णन करते हैं. उनके अनुसार चावल का 4 तरह से सेवल हो सकता है, मंड, पेय विलेपी और ओदन. मंड यानी जब चावल में 14 गुना पानी डालकर उसे पकाया जाए और उससे जो मांड बने, उसे खाया जाता है. पेया यानी इसी मांड में जब थोड़ा चावल भी हो और विलेपी यानी पतला चावल और ओदन यानी आमतौर पर जो चावल हम खाते हैं.
रक्तशाली चावल यानी लाल रंग के चावल को भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छा और हेल्दी बताया गया है.
कौनसा चावल है आपके लिए बेस्ट
– आयुर्वेद में कहा गया है, जो चावल षष्टिशाली यानी जो चावल 60 दिन में बनकर तैयार होता है, वह चावल हमारे लिए सबसे अच्छा होता है.
– इसके साथ ही रक्तशाली चावल यानी लाल रंग के चावल को भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छा और हेल्दी बताया गया है.
– आजकल दुकानों पर कई तरह के चावल मिलते हैं, लेकिन हमेशा याद रखें, जो चावल आपके आसपास की जमीन में उगा है, वही आपके लिए सबसे बेस्ट होता है.
– जो चावल कम से कम 1 साल पुराना होता है, वही खाने में उपयोगी होता है. तुरंत पैदा हुआ, ताजा चावल खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता. इसकी पहचान ये है कि जब आप चावल का दाना हाथ में लें उसे तोड़ेगे तो वो जल्दी टूटता है. ये नया चावल है.
– जो भी चावल आप प्रयोग करें वो कम पॉलिश्ड होना चाहिए.
चावल को पकाने की सही विधि (how to cook rice according to ayurveda)
1. सबसे पहले चावल को पानी से कम से कम 2-3 बार धोएं. चावल को हल्के हाथ से धोएं, ताकि वह टूटे न. साथ ही धोने से चावल पर अगर पाउडर लगा हो या धूल लगी हो तो वह हट जाए.
2. पहली बार का का पानी हटाने के बाद जो दूसरी या तीसरी बार का पानी निकले उसे आप पी सकते हैं. इसे तंदुलोदक कहा गया है. कुछ आयुर्वेदिक दवाएं इस पानी से लेने की सलाह दी जाती है. जैसे अगर महिलाओं में सफेद पानी आने की दिक्कत होती है तो इस पानी से दवा का सेवन करना चाहिए.
3. चावल को धोकर 15 से 20 मिनट के लिए रख दें. उसके बाद ही इसे पकाएं.
4. एक बड़े बर्तन में एक चम्मच घी लें. इसमें जीरा, 2 या 3 लॉंग और काली मिर्च डालें. आप छोटा सा दालचीनी का टुकड़ा भी डाल सकते हैं. इससे चावल का स्वाद तो बढ़ेगा ही, इससे पचने में भी आसान होता है. आप चाहें तो बिना घी या बाकी चीजें डालें भी चावल पका सकते हैं.
5. अब चावल में पानी डालें. आप चावल में थोड़ा ज्यादा पानी डालें, ताकि बाद में इसका मांड निकाला जा सके. अब इसमें सेंधा नमक डालें और चावल को पकने दें.
6. चावल को आपको बिना ढके ही पकाना है. आप बीच-बीच में इसे चेक करते रहें कि चावल पक रहा है या नहीं. जब चावल अंदर से पूरा पक जाए और ऊपर से हल्का रह जाए यानी चावल 90% पक जाए तो गैस बंद कर दें और इसका पानी अलग कर दें.
7. अब जब चावल से पानी निकल जाए, तो बर्तन को बिलकुल कम गैस पर 2 मिनट के लिए रखें और इस बार चावल ढक कर पकाएं. 2 मिनट बाद गैस बंद कर दें. आपका चावल खिला-खिला तैयार होगा.
8. जब आप ऐसे चावल पकाते हैं तो ये स्वाथ्य वर्धक होता है और इसे आसनी से खाया जा सकता है. वहीं जब चावल कुकर में पकाया जाता है तो उसमें चिपचिपाहट आ जाती है और यही चावल डायबेटिक मरीजों के लिए नुकसान करता है. चावल से मांड अलग करने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि इससे कार्बोहाइड्रेट कम हो जाता है और चावल का ग्लाइसेमिक इंडैक्स कम हो जाता है.
Tags: Diabetes, Eat healthy
FIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 13:35 IST