महादेव की अभय मुद्रा: इस मुद्रा में क्यों बनती हैं प्रतिमाएं? जानिए क्या है इस​की खासियत

हाइलाइट्स

संस्कृत में अभय का अर्थ निर्भयता है. यह मुद्रा सुरक्षा, शांति स्थापित करने और भय दूर करने यानी कि निडरता का प्रतीक है.

Significance Of Abhay Mudra : देवों के देव महादेव यानी भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आने को है. इसकी तैयारी भी श्रद्धालु अभी से करने लगे हैं. लेकिन उससे भी पहले भगवान शिव की एक मुद्रा इन दिनों काफी चर्चा में है. यहां हम बात कर रहे हैं अभय मुद्रा की, जिसके बारे में हाल ही में संसद में भी खूब चर्चा हुई. दरअसल, हाल ही में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ‘अभय मुद्रा’ का जिक्र किया. आखिर क्या है अभय मुद्रा? इस मुद्रा में क्या कोई और भी मूर्ति बनी है और इस मुद्रा का लाभ और खासियत क्या है? ऐसे कई सवालों के जवाब इस लेख में जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

क्या है अभय मुद्रा?
आपको बता दें कि आमतौर पर इस मुद्रा का उपयोग योग और ध्यान में किया जाता है. भगवान शिव की अभयमुद्रा वाली तस्वीर आपको आसानी से इंटरनेट पर देखने को मिल जाएगी. इसके अलावा गुरु नानकदेव, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी को इस मुद्रा में आपने देखा होगा. इस मुद्रा में दाहिना हाथ कंधे की ऊंचाई तक उठा रहता है और हथेली को बाहर की तरफ और उंगलियों को सीधा रखते हुए दिखाया जाता है, जबकि बायां हाथ गोद में रहता है. इस मुद्रा का ज्यादातर उपयोग किसी को आशीर्वाद देते समय किया जाता है.

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क्या है इसका अर्थ?
संस्कृत में अभय का अर्थ निर्भयता है. कहा जा सकता है कि यह मुद्रा सुरक्षा, शांति स्थापित करने और भय दूर करने यानी कि निडरता का प्रतीक है. भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के दौरान इस मुद्रा का उपयोग करते हैं.

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क्या है इस मुद्रा का लाभ
आपने इस मुद्रा में तमिलनाडु की 11वीं सदी की चोल काल की नटराज की मूर्ति को भी देखा होगा. ऐसा कहा जाता है कि इस मुद्रा का पालन जो भी लोग करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार की परेशानी दूर हो जाती है. इस मुद्रा का उपयोग योग और ध्यान केंद्रित करने के लिए भी किया जाता है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord Shiva

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