नई दिल्ली. क्रिकेट का अहम हिस्सा होने के बावजूद फील्डिंग को बैटिंग और बॉलिंग के बराबर महत्व नहीं दिया जाता. हालांकि इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसे कई फील्डर हैं जिन्होंने लाजवाब कैच या रन आउट से किसी मैच का रुख बदला है. इनमें सबसे प्रमुख नाम दक्षिण अफ्रीका के जोंटी रोड्स का है जिन्होंने 1992 के वर्ल्डकप में पाकिस्तान के इंजमाम उल हक को डाइव लगाकर इस अंदाज में रन आउट किया था कि विश्व क्रिकेट में फील्डिंग के ‘पोस्टर बॉय’ बन गए थे. यह रोड्स ही थे जिन्होंने सभी टीमों को फील्डिंग को बैटिंग-बॉलिंग की ही तरह गंभीरता से लेने के लिए मजबूर किया.
भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) की बात करें तो रोड्स के पहले और बाद में,देश में कई ऐसे खिलाड़ी हुए जो बेहतरीन फील्डर भी थे. इसमें एकनाथ सोल्कर, मंसूर अली खान, मोहम्मद अजहरुद्दीन,मोहम्मद कैफ और सुरेश रैना के नाम प्रमुख हैं. भारत की मशहूर ‘स्पिन चौकड़ी’ की कामयाबी में क्लोज इन फील्डर सोल्कर का अहम योगदान रहा था.फील्ड में चीते की तरह चपल सोल्कर ने कई अविश्वसनीय कैच लपके. 27 टेस्ट में एक शतक की मदद से 1068 रन बनाने वाले सोल्कर ने 53 कैच लिए जो उन्हें बेहतरीन फील्डर साबित करते हैं.
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डेब्यू टेस्ट की एक पारी में 5, मैच में 7 कैच लपके
भारत के बेहतरीन फील्डर्स की इस फेहरिस्त में एक खिलाड़ी का नाम नदारद है. महज 4 टेस्ट के करियर में इसने दो बड़े रिकॉर्ड बनाए थे. यह क्रिकेटर हैं यजुरवेंद्र सिंह (Yajurvindra Singh).गुजरात के जूनागढ़ जिले के राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले यजुरवेंद्र के नाम पर डेब्यू पारी और डेब्यू टेस्ट में सर्वाधिक कैच (नॉन विकेटकीपर) लेने का रिकॉर्ड है. जनवरी 1977 में इंग्लैंड के खिलाफ बेंगलुरू में डेब्यू करने वाले यजुरवेंद्र ने मेहमान टीम की पहली पारी में 5 कैच पकड़े थे. इंग्लैंड की दूसरी पारी में भी उन्होंने 2 कैच लपककर डेब्यू टेस्ट में सबसे अधिक कैच लपकने के ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल के रिकॉर्ड की बराबरी की थी. पहली पारी में यजुरवेंद्र ने डेनिस एमिस, कीथ फ्लेचर, डेरेक रेंडल, कप्तान टोनी ग्रेग और डेरेक अंडरवुड और दूसरी पारी में एमिस और फ्लेचर के कैच पकड़े थे.
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दाएं हाथ से बैटिंग के अलावा बॉलिंग भी करते थे
1 अगस्त 1952 को राजकोट में जन्मे युजरवेंद्र ने दाएं हाथ से बैटर के अलावा मध्यम गति के बॉलर भी थे. फर्स्ट क्लास क्रिकेट के 78 मैच में 42.30 के औसत से 3765 रन (सर्वोच्च 214) उनके नाम हैं जिसमें 9 शतक शामिल हैं. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 50 विकेट (सर्वश्रेष्ठ 7/20) भी युजरवेंद्र ने लिए थे. हालांकि उनका टेस्ट करियर महज 4 टेस्ट तक ही सीमित रहा जिसमें उन्होंने 18.16 के औसत से 109 रन (सर्वोच्च 43*) बनाए. बचपन से ही ‘सनी’ के नाम से पॉपुलर युजरवेंद्र ने राजकोट के मशहूर राजकुमार कॉलेज में पढ़ाई की और इसकी क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की.
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नाना-पोते का रिकॉर्ड बराबर किया था
यजुरवेंद्र से पहले एक-एक क्रिकेटर ने पारी में 5 और मैच में कुल 7 कैच लपकने का कारनामा किया था. उनसे पहले ऑस्ट्रेलिया के विक्टर रिचर्डसन ने टेस्ट पारी (डेब्यू टेस्ट नहीं) में 5 कैच लपके थे.इसी तरह डेब्यू टेस्ट में 7 कैच लेने के मामले में यजुरवेंद्र ने ऑस्ट्रेलिया के ही ग्रेग चैपल की बराबरी की थी. ग्रेग ने इंग्लैंड के खिलाफ दिसंबर 1974 में पर्थ के डेब्यू टेस्ट में 7 कैच (पहली पारी में 3 और दूसरी में 4 कैच) लिए थे. मजे की बात यह है कि विक्टर उर्फ विक रिचर्डसन और ग्रेग चैपल के बीच नाना-पोते का रिश्ता था.विक 1924 से 1936 तक ऑस्ट्रेलिया की ओर से क्रिकेट खेले जबकि ग्रेग 1970 से लेकर 1984 तक. ग्रेग के अलावा उनके दो भाई इयान और ट्रेवर भी ऑस्ट्रेलिया के लिए खेले हैं.
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डेब्यू टेस्ट की एक पारी में 5 कैच लेने वाले युजरवेंद्र अकेले प्लेयर
टेस्ट क्रिकेट में अब तक एक दर्जन से अधिक फील्डर, टेस्ट पारी में 5 कैच ले चुके हैं इसमें युजरवेंद्र के अलावा भारत के अजहर, के श्रीकांत और अजिंक्य रहाणे भी शामिल हैं. हालांकि युजरवेंद्र के अलावा डेब्यू टेस्ट की एक पारी में 5 कैच लेने की उपलब्धि अब तक कोई हासिल नहीं सका है.
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ग्रेग, यजुरवेंद्र का कैच का रिकॉर्ड रहाणे ने पीछे छोड़ा
ग्रेग चैपल और युजरवेंद्र के बाद श्रीलंका के हसन तिलकरत्ने, न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग,ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन और भारत के केएल राहुल भी टेस्ट में 7 कैच (दोनों पारियों में मिलाकर) ले चुके हैं. इस रिकॉर्ड को अगस्त 2015 में श्रीलंका के खिलाफ गॉल टेस्ट में 8 कैच लपककर पीछे छोड़ा था.श्रीलंका की पहली पारी में रहाणे ने 3 और दूसरी पारी में 5 कैच पकड़े थे.टेस्ट में सर्वाधिक कैच का रिकॉर्ड भले ही रहाणे के नाम है लेकिन डेब्यू टेस्ट में सर्वाधिक कैच युजरवेंद्र ने ही पकड़े हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 21, 2024, 08:01 IST