अब शाकाहारी लोग भी आराम से खा सकेंगे ये उपयोगी कैप्सूल, अभी तक सिर्फ मछली से होता था तैयार

रिपोर्ट- हिना आजमी

देहरादून: अब तक इंसानों को ओमेगा फैटी एसिड के लिए मछली के तेल के बने कैप्सूल लेने पड़ते थे. मछली के तेल से बने होने की वजह से ये कैप्सूल वेजेटेरियन लोगों के इस्तेमाल के लिए मुश्किल थे. उत्तराखंड के सेंटर ऑफ एरोमेटिक प्लांट ने अब ऐसे लोगों के लिए उत्तराखंड के पहाड़ पर पैदा होने वाले भंगजीरा से ओमेगा फैटी एसिड बनाने का तरीका शुरू किया है, जिसके बाद अब शाकाहारी लोगों को शुद्व शाकाहारी ओमेगा कैप्सूल मिल पाएंगे.

उत्तराखंड के सगंध पौध केंद्र के निदेशक डॉ नृपेंद्र सिंह चौहान ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा है कि ओमेगा थ्री फैटी एसिड को एनिमल स्रोत से ही प्राप्त किया जाता था लेकिन अब क़ई रिसर्च के बाद पता चला कि यह वनस्पति से भी प्राप्त किया जा सकता है. इससे उन लोगों को फायदा होगा जो लोग शुद्ध शाकाहारी हैं उनके लिए यह बहुत अच्छी बात होगी. हमारे देश मे अधिकांश लोग वेजेटेरियन हैं, ऐसे में उत्तराखंड के पहाड़ का उत्पाद उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा.

भंगजीरा से तैयार होगा कैप्सूल
आमतौर पर पहले फिश ऑयल और कॉड लिवर से ओमेगा कैप्सूल तैयार किये जाते थे लेकिन, अब पहाड़ का भंगजीरा इसके लिए उपयोगी साबित होगा. उन्होंने कहा एक कम्पनी के साथ मिलकर भंगजीरा से ओमेगा कैप्सूल बनाये जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि भंगजीरा की प्रजाति कैफेमा बीज के तेल से ओमेगा कैप्सूल बनाये जा रहे हैं जिससे पहाड़ों पर चटनी बनाई जाती है औऱ मसालों के रूप में उपयोग किया जाता है. इन बीजों में ओमेगा 3 फैटी एसिड की 65 फीसद मात्रा होती है. इस प्रजाति को यूएस पेटेंट हासिल कर चुके हैं. कैप यानी सेंटर एरोमेटिक प्लांट सेंटर फार्मा कंपनियों के साथ अनुबंध करने की तैयारी कर रहे हैं ताकि भंगजीरा की प्रजाति कैफेमा बीज के तेल से ओमेगा कैप्सूल बनाया जा सके.

उत्तराखंड के बाहर भी होती है भंगजीरा की खेती
भंगजीरा, उत्तराखंड के पहाड़ में परंपरागत रूप से उपयोग होता आया है. उत्तराखंड ही नहीं जापान, कोरिया, थाईलैंड और चीन में भी इनकी खेती होती है. भांगजीरा में पाए जाने वाले एलिमेंट कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण से लेकर पाचन, मांसपेशियों की मजबूती और बालों को न्यूट्रिशन देने के साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं.

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