Is this extreme heat the real reason behind your irritability Know the solution from a clinical psychologist in Patna 

पटना. राजधानी पटना का तापमान 47-48 डिग्री तक पहुंच चुका है. बढ़े हुए तापमान के साथ वातावरण में ह्यूमिडिटी भी काफी हाई है. इस भीषण गर्मी में लोगों के शारीरिक अंगों के साथ-साथ उनके मूड पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता दिख रहा है. 28 वर्षों से साइकोलॉजी के क्षेत्र में कार्यरत और वर्तमान में कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस के मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और नैदानिक मनोविज्ञानी (क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट) डॉ. प्रणय कुमार गुप्ता बताते हैं कि फिलहाल जिस तरह की भीषण गर्मी राजधानी पटना व सूबे के अन्य इलाकों में पड़ रही है. उसमें लोगों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाना आम बात है.

क्यों हर बात पर आता है गुस्सा ?
प्रो. प्रणय मुस्कुराते हुए कहते हैं कि चुकी वे पेशे से एक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं और शांत स्वभाव के व्यक्ति है फिर भी गर्मी में पसीने से भीग जाने या कपड़ों के गीले हो जाने के कारण उन्हें भी चिड़चिड़ापन महसूस होता है. उनकी माने तो दरअसल, अत्यधिक गर्मी महसूस करने पर हमारा शरीर जिस तरह से रिएक्ट करता है. उसी से हमें चिड़चिड़ापन होने लगता है.

डॉ. प्रणय कुमार आगे बताते हैं कि कुछ बीमारियां हैं जैसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर है. इसके बारे में कई रिसर्च हैं जो बताते हैं कि जब सूर्य का प्रकाश शरीर पर बहुत कम मात्रा में पड़ता है तो इससे डिप्रेशन जैसी समस्या बढ़ जाती है. हालांकि, ये समस्या जाड़े के मौसम के देखने को मिलती है. प्रणय आगे कहते हैं कि चुकी जाड़ा साल में मात्र 3 महीने रहता है पर गर्मी का मौसम जाड़े के वनिस्पत लंबा होता है. खासकर मई, जून और जुलाई में खूब गर्मी पड़ती है.

ऐसे में लोगों को इससे समस्या भी होती है. उनकी काम करने की इच्छा नहीं होती है. अत्यधिक गर्मी और धूप से बचने के लिए लोग काम को लेकर भी टालमटोल करने लगते हैं. इसके साथ ही लोगों में इंटरपर्सनल कॉन्फ्लिक्ट बढ़ जाते हैं. और तापमान के साथ उनके गुस्से का पारा भी चढ़ा रहता है.

ये है गुस्से की मुख्य वजह

डॉ. प्रणय कुमार गुप्ता बताते हैं कि गर्मी में गुस्सा आने की दो वजह है. पहली वजह कॉमन है जो फिजियोलॉजिकल है. चूंकि, गर्मी के कारण शरीर से खूब स्वेटिंग होती है और इससे शरीर का वाटर लेवल भी घट जाता है. ब्लड में पानी की मात्रा अच्छी खासी होती है, जबकि धूप और गर्मी के कारण जब शरीर का पानी घटता है तो ब्लड का वॉल्यूम बढ़ जाता है और हार्ट बीट फास्ट होने लगती है.

इसके अलावा शरीर से और अधिक मात्रा में पसीना बहने लगता है और श्वास की गति भी बढ़ जाती है. इस शारीरिक बदलाव से लोग मानसिक तनाव महसूस करते हैं. इसके अलावा जब लोग अधिक गर्मी महसूस करते हैं तो कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन भी बढ़ जाता है. इस कारण चिड़चिड़ापन होने लगता है और इस चिड़चिड़ेपन को गुस्से में तब्दील होने में जरा भी देर नहीं लगती है.

जान लीजिए इसका निदान
डॉ. प्रणय बताते हैं कि रिसर्च के अनुसार, लंबे समय तक ज्यादा गर्मी में रहने की वजह से लोगों में चिड़चिड़ेपन और अत्यधिक क्रोध जैसे भाव उत्पन्न हो सकते हैं. उनकी माने तो बढ़ते हुए तापमान से मानसिक स्वास्थ्य के खराब होने का खतरा भी बढ़ सकता है. चिड़चिड़ापन, आक्रामक व्यवहार और कभी-कभी ठीक से नहीं सोच पाना इसके शुरुआती लक्षण होते हैं.

हालांकि, भीषण गर्मी के इस माहौल में इस तरह की चीज़ों का होना मौसम का कुप्रभाव ही माना जाना चाहिए, डॉ. प्रणय की माने तो प्राथमिक रूप से इन चीजों को फ्रस्ट्रेशन या फिर किसी बीमारी से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. इसके बदले लोगों को खुद को गर्मी से बचाने के तमाम तरह के उपाय करने चाहिए. जिसमें हल्के और सूती कपड़े पहनना, जरूरी ना हो तो धूप में ना निकलना, छाते का उपयोग करना, सफेद तौलिए का उपयोग करना, ओआरएस और अन्य तरह के फलों के जूस का सेवन करना, खुद को हाइड्रेट रखने के लिए समय समय पर पानी पीते रहना इत्यादि शामिल हैं.

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वहीं, इसके अलावा डॉ. प्रणय आगे कहते हैं कि एसी के कुछ एक फायदे के साथ कई नुकसान भी देखने को मिलते हैं. इसलिए इसे अवॉइड करना चाहिए उनकी माने तो एसी के साइड इफेक्ट सिर्फ मनुष्यों तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि, इससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है.

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