हार्ट पेशेंट के लिए वरदान बनी ये तकनीक, 98% मरीज हुए ठीक, 48 घंटे में मिल जाती है छुट्टी…

कार्डियक या हार्ट के मरीजों के इलाज में पिछले कुछ साल में क्रांतिकारी बदलाव आया है. अब हार्ट के ज्‍यादातर मरीजों को बचाना संभव है. इस दिशा में पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी के बजाय नई तकनीक ने क्रांति कर दी है. दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के विशेषज्ञों की मानें तो यह तकनीक इन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है. देखा जा रहा है कि इस इलाज से मरीजों की सबसे तेज और बेहतर रिकवरी हो रही है. स्थिति यह है कि पारंपरिक तरीकों से अलग इस प्रक्रिया के जरिए अब तक 98 फीसदी रोगियों में सफलता हासिल हुई है.

दरअसल परंपरागत ओपन हार्ट सर्जरी के बजाय नई तकनीक रोबोटिक कार्डियक सर्जरी काफी सफल हो रही है. नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के प्रसिद्ध कार्डियक सर्जन डॉ. एमएम यूसुफ और डॉ. वरुण बंसल ने बताया कि पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी की तुलना में रोबोटिक विधि के कई फायदे हैं. इसमें सभी धमनी ग्राफ्ट का उपयोग, कम जटिलताएं, कोई हड्डी नहीं काटना, काफी कम रिकवरी समय और न्यूनतम घाव शामिल हैं. अगर सफलता की बात करें तो 98% सफलता दर और न्यूनतम जोखिम का दावा है. रोबोटिक हार्ट सर्जरी अत्यंत छोटे चीरों के माध्यम से उन्नत रोबोटिक तकनीक और सर्जिकल विशेषज्ञता का उपयोग करके मरीज को फायदा पहुंचाती है.

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इस दौरान बताया गया कि यह उन्नत तकनीक कैसे सभी उम्र के रोगियों के लिए तत्काल और दीर्घकालिक लाभ प्रदान करती हैं. बेहद कम परेशानी वाली इस सर्जरी के 24 घंटे के भीतर मरीज चलना शुरू कर देते हैं. वहीं अक्सर 48-72 घंटों के भीतर अस्‍पताल से छुट्टी दे दी जाती है. इसके अलावा यह सर्जरी कोरोनरी धमनी रोग, हृदय वाल्व रोग, हृदय ट्यूमर और हृदय में जन्म दोषों के इलाज वाले रोगियों के लिए जरूरी है.

डॉ एमएम यूसुफ ने कहा, ‘हार्ट की देखभाल में रोबोटिक कार्डियक सर्जरी एक एक जबर्दस्‍त कदम है. इस अत्याधुनिक रोबोटिक प्रौद्योगिकी से हम बेहद सटीक और कम जोखिम भरी प्रक्रियाएं करने में सक्षम हैं जो मरीज के लिए कठिनाइयों को काफी कम कर देती हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि इस तकनीक से इलाज में घाव के निशान कम होते हैं और मरीज तेजी से अपने सामान्य जीवन में वापस लौटने लगता है. यह न केवल सर्जरी की सटीकता को बढ़ाता है बल्कि मरीजों और उनके परिवार पर शारीरिक और भावनात्मक बोझ भी कम करता है. इस तकनीक के जरिए महज दो से तीन सप्ताह के भीतर मरीज की सामान्य जीवन में तेजी से वापसी हो सकती है जो युवा आबादी के लिए काम पर वापस लौटने और वृद्ध रोगियों के लिए जटिलताओं से बचने के लिए सबसे उपयोगी है.

वहीं डॉ. वरुण बंसल कहते हैं, “रोबोटिक और न्यूनतम इनवेसिव कार्डियक सर्जरी से मरीजों को तेजी से ठीक किया जा सकता है. इस सर्जरी के परिणामस्‍वरूप देखा गया है कि कई रोगी सर्जरी के एक दिन के भीतर चलना शुरू कर गए और अक्सर 48-72 घंटों के भीतर छुट्टी दे दी गई. यह सफलता इस तकनीक की प्रभावशीलता और रोगी संतुष्टि को बयां कर रही है. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि रोबोटिक कार्डियक सर्जरी बढ़ती और विकसित होती रहेगी और हृदय सर्जरी में नए मानक स्थापित करेगी। हमारे रोगियों को सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करेगी.’

दरअसल इस तकनीक की बढ़ती मांग को रेखांकित करते हुए, रोबोटिक सर्जरी बाजार के 2030 तक 25.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो मौजूदा वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. भारत में, यह न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण लोकप्रियता हासिल कर रहा है, जिसमें प्रतिदिन अनुमानित 20 रोबोटिक कार्डियक सर्जरी की जाती हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल इस प्रगति में सबसे आगे है, जो ऐसी प्रक्रियाओं की उच्चतम मात्रा के साथ उत्तरी क्षेत्र में अग्रणी है.

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