पीएम मोदी की साधाना : उद्येश्य प्राप्ति का अचूक फॉर्मूला है ध्यान, इसमें कितनी होती है ताकत, एक्सपर्ट ने खोले राज

PM Modi Meditation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आज चर्चा के केंद्र में है. उन्होंने शुक्रवार को सुबह मां अम्मन मंदिर में पूजा अर्चना की और इसके बाद विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान केंद्र में ध्यान साधाना में तल्लीन हो गए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 48 घंटे तक ध्यान शाधना में तल्लीन रहेंगे. ध्यान भारत की बहुत प्राचीन परंपरा है और योग का अगला पड़ाव. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले योग को देश-विदेश में प्रचारित कर चुके हैं और अब ध्यान की ताकत को भी दुनिया से परिचित कराना चाहते हैं. पर क्या आपको पता है कि ध्यान होता क्या है? ध्यान कैसे किया जाता है और ध्यान का क्या उद्येश्य होता है. यहां हम विस्तार से श्रीमद् राजचंद्र मिशन की संस्थापक श्री गुरु रत्ना प्रभु से बातचीत के आधार पर इसकी बारीकियों को बताएंगे.

क्या होता है ध्यान
ध्यान मन को साधने की प्रक्रिया है जिसका उद्येश्य सत्य के लिए कुछ मांगना हो सकता है. इसमें मन की चेतना को एक खास अवस्था में स्थिर करना होता है. वैसे तो ध्यान का उद्येश्य अपने आप में एक लक्ष्य है लेकिन इससे कुछ प्राप्त करने के निमित्त से भी ध्यान किया जाता है. इसमें कई विधियां हैं. आमतौर पर साधक एक खास मुद्रा में एकांत में स्थिर होकर बैठ जाता है और मन से सभी विचारों को निकालकर सिर्फ उद्येश्य वाले विचारों पर ध्यान केंद्रित करता है. यह कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक का हो सकता है. श्री गुरु रत्ना प्रभु कहती हैं कि ध्यान की कई विधियां होती हैं और हरेक को ध्यान ही कहा जाता है.

ध्यान कैसे किया जाता है

श्री गुरु रत्ना प्रभु कहती हैं कि ध्यान में सबसे पहले हमें अपने सांस पर नियंत्रण रखना होता है. इसके बाद अपने मन को विश्राम की अवस्था में ले जाना होता है. जब हम इस विश्राम में ऊंचे मन वाले विचार या प्रार्थना को आरोपित करते हैं तो ब्रहांडीय शक्ति अपने फल की तरफ अपनी यात्रा शुरू कर देती है. मोदी जी आंख बंद कर क्या विचार कर रहे हैं ये तो शायद ही कोई बता पाएगा लेकिन जिस जगह पर मोदी जी प्रार्थना कर रहे हैं उस जगह पर ध्यान का परिणाम बहुत अलग होता है. अगर वे मन को शांत कर कोई प्रार्थना या उचित विचार डाल रहे हैं तो यह सभी के हित में है.

पीएम मोदी का क्या है उद्येश्य

श्री गुरु रत्ना प्रभु कहती हैं कि ध्यान का निहित उद्येश्य होता है. उन्होंने बताया कि जिस तरह गांधी जी अपनी मांगों को लेकर अनशन करते थे, ध्यान कुछ-कुछ इसी तरह से होता है. इसमें ब्रह्मांडीय शक्ति से उद्येश्य प्राप्ति के लिए एकाग्रचित होकर मांगें की जाती है. जब हम ब्रह्माडीय शक्ति से कुछ मांगों को पूरा करावाना चाहते हैं तब ध्यान के आधार का सहारा लिया जाता है. अगर यह उद्येश्य ब्रह्मांड के औचित्य के लिए हो, सृष्टि के लाभ के लिए हो, तो ब्रह्माडीय सत्ता इस उद्येश्य को पूरा करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या उद्येश्य है यह तो उनके मन में ही होगा लेकिन निश्चित रूप से प्रधानमंत्री उच्च उद्येश्यों को प्राप्त करने के लिए यह ध्यान कर रहे हैं.

विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ही ध्यान क्यों

विवेकानंद रॉक मेमोरियल का विशेष महत्व हैं. श्री गुरु रत्ना प्रभु के मुताबिक हमारे शास्त्रों में यह वर्णित है कि माता पार्वती अपनी कामना की पूर्ति के लिए इसी पत्थर पर साधना की थी जिसके बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर उनकी कामना की पूर्ति की थी. कन्याकुमारी में आज भी देवी मां का मंदिर स्थित है. रत्ना प्रभु ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भी इसी पत्थर पर समंदर में तेज लहरों के बीच तैरकर साधाना करने गए थे. उन्होंने देवी मां से अपने आध्यात्मिक विकास के लिए मांगा था. इसी उद्येश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने तीन दिनों तक कठोर साधना की थी. इसकी बदौलत उन्होंने अपने भीतर आध्यात्मिक विकास को साधा. इसी को उन्होंने देश-विदेश तक फैलाया. विवेकानंद के लिए यह स्थान निवृति स्थल था. दरअसल, प्रवृति के समय विवेकानंद अपने विचारों को फैलाते थे और निवृति के समय अपने विचारों को ध्यान में जाकर और तटस्थ करते थे. ऐसा माना जाता है कि विवेकानंद को इसी जगह ध्यान के दिव्य अनुभवों में बोध की प्राप्ति हुई.

48 घंटे ही क्यों

श्रीगुरु रत्ना प्रभु ने कहा कि ऐसा नियम नहीं होता कि किसी ध्यान को 48 घंटे या 43 घंटे में पूरा करना ही चाहिए लेकिन जब हम किसी विचारधारा को 48 घंटे तक सतत प्रवाहित करते हैं तो वह विचारधारा सत्य की तरफ अपना रुख ले लेती है. आजकल हम किसी विचार को 48 मिनट तक नहीं रोक पाते हैं लेकिन मोदी जी किसी निश्चय से ही एक विचार को 48 घंटे तक प्रवाहित करना चाहते हैं. यह बहुत बड़ी बात है. हालांकि लंबे ध्यान में बीच में शरीर के आवश्यक कार्य को भी किया जा सकता है. इसमें पानी भी भी सकते हैं. हल्का आहार भी ले सकते हैं लेकिन आवश्यक यह है कि हम जिस विचार को लेकर चल रहे है वह दिशा पकड़ कर रखें. इसमें दिशा न भटके. जब कोई विचार 48 घंटे तक सतत प्रवाहित होता है तो वो विचार अपने अस्तित्व को धारण करने लगता है वह सत्य होने लगता है. यह कार्य सिद्धि की ओर जाता है.

ध्यान में असीम शक्ति

श्री गुरु रत्ना प्रभु कहती हैं कि ध्यान में असीमित शक्ति होती है. ध्यान से न केवल आध्यात्मिक बल्कि मानसिक और शारीरिक फायदे भी होते हैं. इसलिए हर किसी को ध्यान करना चाहिए. श्री गुरु रत्ना प्रभु ने बताया कि आज के जीवन में तनाव सबसे बड़ी बीमारी है. अधिकांश बीमारियों के लिए तनाव जिम्मेदार है. ध्यान तनाव को दूर कर देता है. अगर मन तनाव से आजाद हो जाए तो शरीर स्वतः ही स्फूर्त महसूस करेगा. कुछ नया करने का रोमांच पैदा होगा. ध्यान तनाव को भगाता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. ध्यान हमारे मनोभावों को क्रेंद्रित कर देता है.

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