देश की इस मशहूर गायिका को हुई कानों की ये रेयर बीमारी, 48 घंटे में अस्पताल नहीं पहुंचे तो हो जाएंगे बहरे!

Alka Yagnik Rare Hearing Loss: मध्य 80 और 90 के दशक की मेलोडी क्वीन और 2500 से ज्यादा गाना गाने वाली मशहूर सिंगर अल्का याग्निक कानों की रेयर बीमारी से पीड़ित हो गई हैं. उन्हें सुनाई नहीं दे रहा है. इसे मेडिकल भाषा में सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस कहा जाता है. सुमधुर आवाज की मल्लिका इस बीमारी के लिए इलाज करा रही हैं लेकिन यह बीमारी किसी को भी हो सकती है और अगर यह बीमारी लग गई और उसके 48 घंटे के अंदर डॉक्टर के पास न पहुंचा जाए तो मरीज हमेशा के लिए सुनने की क्षमता खो सकता है. आखिर यह बीमारी क्यों इतनी खतरनाक है क्यों 48 घंटे के अंदर इलाज कराना जरूरी है, इन सारे मामलों को लेकर न्यूज 18 ने सर गंगाराम अस्पताल में ईएनटी विभाग के वाइस चेयरमैन डॉ. मनीष मुंजाल से बात की.

क्यों होता है सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस
डॉ. मनीष मुंजाल ने बताया कि सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस का मुख्य कारण वायरस का हमला है. वायरस हवा के माध्यम से कान में घुस जाता है और कान के अंदरुनी हिस्से को डैमेज कर देता है. इसके लिए कई तरह के वायरस जिम्मेदार होते हैं. कॉमन कफ एंड कोल्ड वाला वायरस भी यह बीमारी दे सकता है. डॉ. मनीष मुंजाल ने बताया कि मुख्य रूप से यह हर्पीज वायरस और चिकेन पॉक्स वाले वेरिसेला जॉस्टर वायरस से होता है. हालांकि आजकल एडल्ट मंप्स ऑर्थोरुबुलावायरस ये सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इन सबके अलावा सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस कान के आंतरिक भाग के के क्षतिग्रस्त होने और लगातार कई दिनों तक बहुत शोर सुनने से भी हो सकता है.

वायरस किस तरह कान में हमला करता है
डॉ. मनीष मुंजाल ने बताया कि कान में तीन भाग होते हैं. आंतरिक, मध्य और बाहरी भाग. जैसे ही कोई आवाज आई, इयरड्रम वाइव्रेट करता है. इससे मध्य कान में तीन बारीक हड्डियों में मूवमेंट होने लगता है और यह मूवमेंट आंतरिक कान के एक खास हिस्से में पहुंचता है. इसे कॉकेलिया कहते हैं. कॉकेलिया में फ्लूड होता है जिसमें कई बारीक हेयर सेल्स बने होते हैं. यही हेयर सेल्स आवाज को साउंड वेव में बदल देता है. यह साउंड वेव इलेक्ट्रिक सिग्नल के रूप में दिमाग को पहुंचा दिया जाता है. लेकिन जब वायरस का हमला होता है तो इससे कान के आंतरिक भाग में सूजन बनने लगती है और इससे कॉकेलिया के नर्व डैमेज होने लगते हैं. अगर यह पूरी तरह डैमेज नहीं भी होता तो इससे फ्रीक्वैंसी डैमेज होने लगती है. इसलिए 48 घंटे के अंदर इलाज शुरू हो जाना चाहिए. वरना परमानेंट हियरिंग लॉस का खतरा ज्यादा रहता है.

कैसे समझे कि वायरस का हमला हुआ है
डॉ. मनीष मुंजाल ने बताया कि आमतौर पर इस बीमारी में अचानक सुनाई कम देने लगता है. ऐसे में आपको एक कान बंद कर दूसरे कान से सुनना चाहिए. इससे पता चल जाएगा कि किस कान से कम सुनाई दे रहा है. अगर इलाज शुरू नहीं हुआ तो पूरी तरह सुनाई देना बंद हो सकता है. ऐसे मरीज में कान में आवाज घुरघुराने लगती है या स्पष्ट सुनाई नहीं देती. वहीं कान के पास सुन्नापन आने लगता है. गंभीर लक्षण में चक्कर आना और कान में टिनटिन की आवाज और बैलेंस बिगड़ जाना शामिल है.

इसका क्या है इलाज
शुरुआत में एंटी-वायरल दवा दी जाती है. जल्दी से सुधार नहीं हुआ तो कान में डायरेक्ट इंटराटिंपेनिक स्टेरॉयड दिया जाता है. तीन सप्ताह के अंदर सुधार दिखने लगता है. डॉ. मनीष मुंजाल बताते हैं कि अगर मरीज को पहले से कोई बीमारी है या बहुत गंभीर वायरस अटैक हुआ है तो इसे ठीक करना थोड़ा मुश्किल होता है. हालांकि 70 प्रतिशत केसेज में मरीज ठीक हो जाता है.

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