इतनी गर्मी में बुखार? नहीं! ये हो सकता है हीट स्‍ट्रोक का लक्षण, भूलकर भी घर पर न करें ये काम, जा सकती है जान

जून की गर्मी का सितम जारी है. सुबह से ही हीट वेव का टॉर्चर इतना ज्‍यादा होता है कि घर से बाहर 5 मिनट रहने पर भी लोगों की हालत खराब हो रही है. भीषण गर्मी के असर के चलते अस्‍पतालों में भी अलग-अलग परेशानियों के मरीज पहुंच रहे हैं. हालांकि इस दौरान गर्मी की वजह से शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने या बुखार आने की समस्‍या भी हो रही है. 101 या 102 डिग्री फारेनहाट पर पहुंचा बॉडी टेंपरेचर या तेज बुखार भले ही सुनने में एक लगे लेकिन इस हीट वेव के मौसम में इनका इलाज एक नहीं है. डॉक्‍टरों की मानें तो जिसे आप बुखार समझ रहे हैं, वह हाइपरथर्मिया या हीट स्‍ट्रोक का लक्षण भी हो सकता है. आइए पहले समझते हैं दोनों के बीच में अंतर..

राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल, नई दिल्‍ली में इंटरनल मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. अजय चौहान कहते हैं कि शरीर तेज गर्म होने पर अक्‍सर लोग थर्मामीटर लगाते हैं, तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर आने पर समझते हैं कि बुखार आ गया. जबकि यह बुखार के बजाय हीट वेव की वजह से हाइपरथर्मिया या हीट स्‍ट्रोक का लक्षण हो सकता है. आइए जानते हैं बुखार और हाइपरथर्मिया में अंतर..

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इन 3 चीजों से करें बुखार और हाइपरथर्मिया में अंतर

.एक्‍सपोजर टू हीट स्‍ट्रैस यानि अगर कोई व्‍यक्ति कुछ देर 45-46 डिग्री से ऊपर तापमान में से आया है और फिर उसका शरीर एकदम गर्म हो गया है. यानि हीट के संपर्क में आने के बाद अगर बॉडी टेंपरेचर बढ़ा है तो वह बुखार नहीं, हाइपरथर्मिया है.

. तापमान 101 से ऊपर हो. अगर इस भीषण गर्मी में बच्‍चे या बड़े किसी का भी बॉडी टेंपरेचर 101 से 104 के बीच में या उससे ऊपर हो तो वह बुखार नहीं है. उसे पैरासीटामोल या डोलो आदि नहीं देनी है. यह हाइपरथर्मिया यानि हीट स्‍ट्रोक का लक्षण हो सकता है. इसके लिए कूलिंग के उपाय करें.

. अगर मरीज को गफलत या विभ्रम जैसी स्थिति होती है. उसे बोलने में परेशानी होती है तो भी यह बुखार नहीं है, हाइपरथर्मिया या ही स्‍ट्रोक का लक्षण हो सकता है.

न करें ये गलती
अगर शरीर का तापमान 102 या 103 या इससे ऊपर है तब अक्‍सर लोग मरीज को डॉक्‍टर के पास ले जाने से पहले तुरंत बुखार उतारने के लिए पैरासीटामोल या डोलो दे देते हैं. ताकि बुखार कुछ कम होने पर डॉक्‍टर के पास ले जाएं. जबकि इस हीट वेव के मौसम में ये सबसे बड़ी गलती साबित हो स‍कती है.

डॉ. चौहान कहते हैं कि यहां समझने वाली बात ये है कि इस मौसम में गर्मी की वजह से शरीर का तापमान बढ़ना बुखार नहीं बल्कि हाइपरथर्मिया यानि हीट एग्‍जॉशन या हीट स्‍ट्रोक का शुरुआती लक्षण हो सकता है. लोगों को इस बात को याद रखना है कि हाइपरथर्मिया होने पर मरीज को पैरासीटामोल, डोलो या कोई भी बुखार उतारने वाली दवा नहीं देनी है. इससे फायदा के बजाय नुकसान हो सकता है.

करें ये काम
जून की गर्मी में अगर किसी मरीज के शरीर का तापमान बढ़ रहा है तो उसे बुखार उतारने की दवा देने के बजाय कूलिंग दें. मरीज को ठंडे स्‍थान पर लिटाएं. कूलर या एसी है तो अच्‍छा है. कपड़े ढीले कर दें. माथे, शरीर के सभी ज्‍वॉइंट्स के नीचे, बगल आदि में ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर या आइस पैक्‍स रखें. तुरंत मरीज को अस्‍पताल ले जाने की व्‍यवस्‍था करें.

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Tags: Health News, Heat stress, Heat Wave, Lifestyle, Trending news

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